



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)
वे दिन गए जब बच्चे स्कूल से आते ही अपना बैग एक ओर फैंक कर दोस्तों के साथ कंचे, कबड्डी,
पतंग उड़ाने, गिल्ली-डंडा खेलने या फिर गुड्डे-गुडिया का खेल खेलने निकल जाते थे। अब तो बच्चे स्कूल
से आने के बाद घर के भीतर ही कम्प्यूटर गेम खेलना पसंद करते हैं जबकि बच्चे के संपूर्ण विकास के
लिए आऊटडोर एक्टिविटीज बहुत जरूरी होती हैं इसलिए अपने बच्चे को पढ़ाई के अलावा खेल या अन्य
गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी प्रेरित करें।
चुनौतियों का सामना करना सीखता है बच्चा
आऊटडोर एक्टिविटीज में बच्चा पढ़ाई के अलावा कई नए हुनर भी खेल-खेल में सीख जाता है जो
भविष्य में उसके विकास में मुख्य भूमिका निभाते हैं। खेलों में पार्टीसिपेट करने से बच्चे टीम भावना
और स्पोर्र्ट्समैनशिप सीखते हैं। प्रतियोगिता उन्हें जीवन में आगे बढने की चुनौतियों का सामना करना
सिखाती है, जो हमेशा उनके काम आएंगी।
दोस्त बनाना सीखें
पढ़ाई के अलावा किए जाने वाले इन कामों से बच्चा नए दोस्त बनाना और उनसे बातचीत करने का
हुनर सीखता है। ये गतिविधियां बच्चे में टीम के तौर पर काम करने और टीम में अपना सहयोग देने
की भावना का भी विकास करती हैं। बच्चे सार्वजनिक प्रदर्शन करने और व्यवहार करने की कला सहजता
से सीखते चले जाते हैं।
बनता है एक्टिव
क्या आपका बच्चा भी पूरी क्लास के सामने खड़े हो कर बोलने या कविता सुनाने में झिझकता है या
दूसरों के कुछ पूछने पर जवाब नहीं दे पाता तो उसे एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में शामिल करें। आप
उसे पेंटिंग, गाने या डांस की क्लास ज्वाइन करा सकते हैं। इससे बच्चे अपने सीमित दायरे से बाहर
निकल कर दूसरों से घुलना-मिलना सीखते हैं। झिझक दूर होने से वे एक्टिव भी बनते हैं।
रहेगा फिट
बच्चे को किसी खेल के साथ जोड़ दें। इससे बच्चा अधिक व्यायाम कर पाएगा। साथ ही फिट और
सेहतमंद भी रहेगा।
बढ़ती है सीखने की क्षमता
यदि आप यह सोचते हैं कि इस प्रकार की गतिविधियों में भाग लेने से आपका बच्चा पढ़ाई में पीछे रह
जाएगा, तो यह सही नहीं है क्योंकि जो बच्चे स्कूल के बाद की गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं वे पढ़ाई में
उन बच्चों की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन करते हैं जो इसका हिस्सा नहीं होते। एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटीज
बच्चों में सीखने की क्षमता बढ़ाती है जिसका असर उनके रिजल्ट्स में देखने को मिलता है।
समय प्रबंधन
इन गतिविधियों का एक बड़ा फायदा यह होता है कि आपका बच्चा समय प्रबंधन सीखता है। वह
महत्वपूर्ण कामों की प्राथमिकता तय करना सीखता है। यह भी देखा गया है कि जो वयस्क अपने बचपन
में ऐसे कामों में संलग्न रहते थे वे आसानी से कई काम एक साथ कर लेते हैं। उन्हें काम का दबाव
अन्यों के मुकाबले कम होता है और कार्यों की प्राथमिकता सूची बनाने में उन्हें कोई परेशानी नहीं आती।
रिलैक्स और रिफ्रैश
होमवर्क का दबाव, क्लास टैस्ट और एग्जाम इन सबने बच्चों पर काफी मानसिक दबाव बना रखा है। वे
इतना स्ट्रैस महसूस करते हैं कि न तो सही ढंग से अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं और न ही
बाकी कामों को सही तरीके से कर पाते हैं। ये गतिविधियां उन्हें रिलैक्स और रिफ्रैश महसूस कराने में
मदद करती हैं।