मोबाइल लोक की जय

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Sampoorna Chalisa Sangrah (संपूर्ण चालीसा संग्रह) APK for Android Download

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता ) 

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सुबह की ब्रेकिंग बोले तो किंगों की महाकिंग खबर! अपने मोहल्ले के मोबाइल अडिक्शन जी के
मोबाइल की बैटरी खत्म हो जाने से उनका मोबाइलावसान हो गया। तब वे अपने मोबाइल की बैटरी
चार्ज करने को बहुत फडफ़ड़ाए। उन्होंने चार्जर ढूंढने को इधर उधर बहुत हाथ पांव मारे। पर उन्हें
उनके मोबाइल का चार्जर नहीं मिला तो नहीं मिला। उनको अति विनम्र श्रद्धांजलि! वे मोबाइल के
इतने भक्त थे कि इतनी तो मीरा भी कृष्ण की न रही होंगी। जो वे मीरा के युग में पैदा होते तो
और तब मोबाइल का आविष्कार हुआ तो वे मीरा का स्थान पा जाते यह गाते हुए- मेरे तो मोबाइल
लाल दूसरो न कोय! जाके सिर व्हाट्सएपए फेसबुक और न जाने क्या क्या होय…। अब जो हुआ सो
हुआ। उनका मोबाइल तो चार्ज करवाया जा सकता था पर वे चार्ज नहीं किए सकते थे। आदमी के
बनाए सामान और आदमी में बस एक यही फर्क होता है। जब वे मोबाइलगामी हुए तो उन्होंने उस

वक्त भी सारी मोहमाया छोड़ मोबाइल हाथ में कसकर पकड़ रखा था वैसे ही भक्त ज्यों देह त्याग
करने के बाद प्रभु को पकड़े रखता है।
उनके मोबाइल चाहने वाले उनके घरवालों ने तब उनके हाथ से मोबाइल छुड़ाने की बहुत कोशिश की,
पर उन्होंने मोबाइल न छोड़ा, तो न छोड़ा। जब उनके हाथ से कोई उनका मोबाइल नहीं छीन पाया
तो तय हुआ कि उन्हें उनके मोबाइल के साथ ही भेज दिया जाए। तब उन्हें लेने आए यमदूतों ने भी
उनसे वह मोबाइल वहीं छोड़ऩे को आग्रह किया। पर वे नहीं माने तो नहीं माने। उन्होंने उनसे दो टूक
कहा, ‘देखो बंधु! मैं अपना सब कुछ यहां छोड़ सकता हूं पर मोबाइल नहीं। मोबाइल में मेरी आत्मा
का वास है बंधु!’ ज्यों ही वे हाथ में अपना मोबाइल लिए प्रभु के दरबार में पास हाजिर हुए प्रभु ने
उनके हाथ में अजीब सा यंत्र देख उनसे पूछा, ‘और बंधु! ये हाथ में साथ क्या लाए हो? कहीं कोई
असंदिग्ध वस्तु तो नहीं?’ ‘लाना क्या साहब ! बसस मोबाइल है।’ ‘इससे जीव क्या करता है?’ ‘जनाब
! ये पूछो कि क्या नहीं करता है। इस पर वह हर किस्म की गेम खेल सकता है। इसके माध्यम से
ऑनलाइन खरीददारी से लेकर रंगदारी की जा सकती है। इसके माध्यम से वह मौसम का हाल जान
सकता है। इसके माध्यम से वह अपना भूत, वर्तमान, भविष्य जान सकता है।
इसके माध्यम से वह स्टॉक एक्सचेंज से लेकर हर एक्सचेंज ऑफर जान सकता है। इसमें आज के
जीव की धडक़न है प्रभु! आज का जीव दिल के सहारे नहीं, इसके सहारे जी रहा है। इसके बिना जीव
का शरीर होते हुए भी उसका कोई अस्तित्व नहीं। आज का शादीशुदा अपने बीवी बच्चों के बिना रह
सकता है, पर इसके बिना नहीं। आज के बच्चे अपने मां बाप के बिना रह सकते हैं, पर इसके बिना
नहीं। आज की बीवी अपने पति के बिना रह सकती है, पर इसके बिना नहीं। आज का जीव जल के
बिना रह सकता है, पर इसके बिना नहीं। आज का जीव धरती पर धरती के बिना रह सकता है, पर
इसके बिना नहीं। आज का जीव वायु के बिना रह सकता है, पर इसके बिना नहीं। आज का जीव
आटा चावल के बिना रह सकता है, पर इसके बिना नहीं। आज का जीव आकाश के बिना रह सकता
है, पर इसके बिना नहीं। कुल मिलाकर प्रभु! आज के जीव के लिए यह सबसे अनिवार्य तत्व है। प्रभु!
आपने जीव कल्याण के लिए उसे क्या क्या नहीं दिया प्रभु! ऐसे में हो सके तो बस, मोबाइल प्रेमियों
के हित में उनके कल्याणार्थ मोबाइल लोक का निर्माण कर दीजिए ताकि मृत्युलोक में इसके होते
गालियां खाने के बाद समस्त मोबाइल चराचर जीव जब तक पुन: मोबाइल देह प्राप्त नहीं कर लेते
तब तक वहां निर्विरोध, नि:संकोच अपने में खोए मोबाइल संग रहते आपकी जय जयकार करते
आराम से व्यतीत कर सकें।

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