नि:संतान दंपति ने जिला सरोगेसी बोर्ड स्थापित करने को लेकर बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया

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District Surrogacy Board | निसंतान दंपति ने 'जिला सरोगेसी बोर्ड' स्थापित  करने को लेकर किया बंबई उच्च न्यायालय का रुख | Navabharat (नवभारत)

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता ) 

मुंबई, 29 नवंबर  मुंबई में एक नि:संतान दंपति ने बंबई उच्च न्यायालय का रुख कर
महाराष्ट्र सरकार को सरोगेसी (नियमन) कानून, 2021 के प्रावधानों के अनुसार जिला सरोगेसी बोर्ड
गठित करने तथा मुंबई में इन्फर्टिलिटी (संतान नहीं हो पाने से जुड़ी समस्याओं का उपचार करने
वाले) क्लिनिक का पंजीकरण करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला की अगुवाई वाली खंडपीठ ने याचिका पर सोमवार को सरकार से
जवाब मांगा और मामले पर अगली सुनवाई के लिए 12 दिसंबर की तारीख तय की। याचिका के
अनुसार, याचिककर्ताओं ने 2016 में शादी की थी। दोनों की आयु इस समय 40 के करीब है।
महिला युवा अवस्था से ही मधुमेह और अन्य बीमारियों से पीड़ित है। वह गर्भधारण नहीं कर पायी
जिसके बाद दंपति ने विभिन्न फर्टिलिटी क्लिनिक और विशेषज्ञों से सलाह ली, लेकिन गर्भधारण नहीं
हुआ।
याचिका में कहा गया है कि इसके बाद दंपति ने सरोगेसी कराने का फैसला किया लेकिन उन्हें मालूम
चला कि अभी तक सरोगेसी के लिए किसी भी क्लिनिक का पंजीकरण नहीं किया गया है। याचिका
में दावा किया गया है कि सरोगेसी तथा ‘असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नीक’ (एआरटी) से जुड़ा कानून होने
के बावजूद मुंबई में किसी भी क्लिनिक का पंजीकरण नहीं किया गया है। बिना पंजीकरण के कोई भी
क्लिनिक सरोगेसी की अर्जियों को आगे नहीं बढ़ा सकता। याचिकाकर्ता दंपति ने कहा,
‘‘याचिकाकर्ताओं को एआरटी कराने से रोकना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में प्रदत्त
मूल अधिकारों के खिलाफ होगा।’’

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