मनरेगा में सुधार के लिए समिति गठित

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मनरेगा की गुणवत्ता सुधारने के नाम पर मज़दूरों के अधिकारों का हनन किया जा  रहा है

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता) 

नई दिल्ली, 26 नवंबर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सरकारी नौकरी की गारंटी देने
की एकमात्र योजना मनरेगा में सुधार के लिए समिति का गठन किया है। इसका मकसद देश के
अत्यंत निर्धन इलाकों में लोगों को ज्यादा से ज्यादा काम मुहैया कराना है। एक वरिष्ठ सरकारी
अधिकारी ने आज यह जानकारी दी।
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत
काम की मांग बहुत ज्यादा बनी हुई है। आर्थिक गतिविधियां सामान्य होने के बावजूद मनरेगा में
भारी आवंटन को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
इसे देखते हुए योजना की समग्र समीक्षा के लिए एक पूर्व अफसरशाह की अध्यक्षता में समिति का
गठन किया गया है। यह समिति योजना के तहत व्यय के तरीके, सरकार के ढांचे और प्रशासनिक
मसलों की समग्र समीक्षा करेगी, जिससे इस योजना की खामियों को दूर किया जा सके।

सूत्रों ने कहा कि यह समिति अक्टूबर में गठित की गई थी, जो जनवरी तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत
करेगी। यह रिपोर्ट फरवरी में संसद में पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट के पहले आएगी। यह समीक्षा
पूरे देश में चलने वाली कवायद है। इसमें उन इलाकों की भी समीक्षा शामिल है, जहां पिछले कुछ
साल में मनरेगा के बजट में बढ़ोतरी हुई है।
इसकी वजहों को जानने की कवायद होगी। सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि मनरेगा के तहत बिहार और
ओडिशा जैसे राज्यों का खर्च तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्यों से पीछे है, जिनकी प्रति व्यक्ति
आय अधिक है। इस प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘समिति के ध्यान का
एक बड़ा केंद्र इस पर केंद्रित है कि क्या मनरेगा से गरीबी उन्मूलन का मकसद पूरा हो रहा है और
क्या इसके लिए कुछ बदलाव की जरूरत है।’
उन्होंने कहा कि मनरेगा के मूल ढांचे में बदलाव होने की संभावना बहुत कम है क्योंकि यह अन्य
सरकारी योजनाओं की तुलना में अलग है और इसमें बदलाव के लिए संसद से मंजूरी लेनी होगी। एक
अन्य अधिकारी ने कहा, ‘मनरेगा 2006 में शुरू किया गया। तब से 16 साल हो चुके हैं। समय
समय पर योजना के प्रदर्शन की समीक्षा होती रही है और इस बाद भी ऐसा ही किया जाएगा। इसका
मकसद भी वही है कि इसमें बदलते वक्त व जरूरतों के मुताबिक बदलाव किया जाए।’
एक अधिकारी ने कहा कि अपेक्षाकृत समृद्ध राज्यों के निवासी बेहतर स्थिति में हैं और गरीबी खत्म
करने के लिए चलाई जा रही रोजगार योजना के तहत ज्यादा काम पा रहे हैं, ऐसे में इस योजना में
बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है। पिछले कुछ महीने के दौरान मनरेगा के तहत काम की
मांग कम हुई है, लेकिन यह अभी भी महामारी के पहले के स्तर से बहुत ज्यादा है।

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