सरकारी नौकरी की मधुर यादें

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Sarkari Naukri Benefits: सरकारी नौकरी में मिलती हैं ये सुविधाएं, शुरू कर  दें तैयारी - career tips sarkari naukri benefits govt jobs in india govt  jobs vacancy – News18 हिंदी

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता) 

सरकारी नौकरी से कोई निवृत नहीं होना चाहता। यशस्वी अफसरों को बार बार मिलता सेवा विस्तार,
कम यशस्वी अफसरों और कर्मचारियों को भी समुचित संबंध उगाने को प्रेरित करता है। सरकारी
नौकरी के संदर्भ में एक मित्र नादेव याद आते रहते हैं। उनके रिटायर होने में दो महीने बचे थे।
उन्होंने बाकी छुट्टियों का हिसाब किताब कर लिया था कि उनके एवज़ में कितने पैसे मिलेंगे।
आखिर बड़े जतन से छुट्टियां बचाई थी। वे मुस्कुराते हुए खुद को गौरवमय महसूस करते हुए याद
करते रहे कि वे एक महीने में दो या तीन बार ही ठीक समय पर दफ्तर पहुंचते थे। निजी व घरेलू
काम देर से पहुंचकर या जल्दी निकलकर निबटा दिया करते थे। दिन में आयोजित होने वाले किसी
भी स्थानीय विवाह में वह अवकाश लेकर शामिल नहीं हुए थे। उनकी इस कार्यशैली के बहुत लोग
कायल थे। सहकर्मियों के लिए तो वह प्रेरणा बन चुके थे, विशेषकर नए कर्मचारियों के लिए। वे
अपने प्रभारी को पटाकर रखते थे जो लालपरी के अधीन रहते थे। लालपरी का इंतजाम नादेव ने
अपने फौजी चाचा के माध्यम से कर रखा था। उन्होंने अपने बॉस की पत्नी को भी कैन्टीन का
सस्ता सामान दिला दिला कर प्रभावित किया हुआ था। कितनी ही बार घूमने फिरने की सुविधा के
तहत कई सफल जुगाड़ भिड़ा दिया करते थे। वे अनेक गुरों के माहिर थे।

उन्होंने अपने तथाकथित पाप धोने के लिए बुजुर्ग माता-पिता को साथ लेकर चारों धाम की यात्रा करा
दी थी,हालांकि माता-पिता उनके व्यवहार से तंग अक्सर गांव में रहते थे। नादेव को समझ थी कि
सेवानिवृति से पहले परिवार की, पूरी स्वास्थ्य जांच करवा लेनी चाहिए। कोई बड़ा ऑपरेशन या महंगा
इलाज वगैरा निबटा लेना चाहिए क्योंकि बाद में बिल भुगतान में देर अंधेर हो सकती है। इसलिए
उन्होंने पूरी स्वास्थ्य जांच करवा कर शारीरिक चैसिस की छोटी मोटी सारी मरम्मत करवा ली थी।
भगवानजी की दया से यहां वहां का खा पीकर भी वे चुस्त दरुस्त थे। परम्परा के अनुसार उन्होंने
सेवानिवृति के दिन भोज देना था। उन्होंने इसका उचित प्रबंध किया और उसी दिन अपनी धर्मपत्नी
का जन्मदिन भी पहली बार मना डाला। इसका भी उन्हें फायदा हुआ। उनके परिचितों को शक तो हो
रहा था मगर भाभीजी का जन्मदिन था, इसलिए चुपचाप खाया, तो उपहार भी देना पड़ा। आखिर
नादेव रिटायर हो गए। पत्नी ने पूछा अब तो निठ्ठले हो गए हो दिन भर क्या करोगे, घर पर बैठे
रहोगे। नादेव बोले अब मैं अपने गहन अनुभवों से समाज सेवा करूंगा। समाज के परेशान बंदों का,
अच्छे ढंग से मार्गदर्शन करूंगा कि सरकारी कामकाज कैसे करवाए जाते हैं। एक संस्था बनाउंगा,
उसमें कुछ लोगों को साथ रखूंगा व सरकारजी से सहायता लेकर सबकी सहायता करूंगा। हो सका तो
किसी अखबार का संवाददाता बन जाउंगा ताकि बाकी जि़ंदगी आराम से बसर हो। नादेव की पत्नी को
फख्र हो रहा था कि वह कितने कर्मठ इंसान की पत्नी है। उन्हें लगता है काश वह सरकारी कर्मचारी
होती। गलत लोगों का कहना है कि एक घर से एक ही व्यक्ति सरकारी नौकरी में होना चाहिए।
(स्वतंत्र लेखक)

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