वो जिए…

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Wo Jo Khwab The Mere Zehan Main || Iqbal Ashar Shayari || - YouTube

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता) 

वो जिए
वो जीती है
और जिन्दा है
बनफूल की तरह।
उसे यकीन है
जिंदगी में,
जैसे बच्चों का होता है,
परीकथाओं में।
वो बुनती है
जिंदगी के गज्झिन सपने
जैसे माई बुनती थी
ठिठुरते रातों में स्वेटर
हमारे लिए।
हम मंगाते हैं मन्नतें
और प्रार्थनाएं करते हैं,
उसके लिए
कि समय चाहे कैसा भी हो,
वो बनी रहे,
उसके जीवन में सदा आनंद बना रहे,
वो अपनी जिंदगी
अपने यकीन के साथ
जिन्दा रहे।
(रचनकार से साभार)

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