



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)
संयुक्त राष्ट्र, 19 अक्टूबर माली के विदेश मंत्री अब्दुल्ला दयूब ने मंगलवार को फ्रांस
पर अशांत पश्चिमी अफ्रीकी देश पर आक्रामक कार्रवाई करने के साथ ही उसकी जासूसी कराने का
आरोप लगाया। हालांकि फ्रांस ने इन आरोपों को “झूठा” और “मानहानिकारक” बताते हुए खारिज कर
दिया।
दोनों देशों के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में तीखी बहस हुई। इस दौरान माली ने
अगस्त 2020 में हुए तख्तापलट और फ्रांसीसी सैनिकों की पूरी तरह से वापसी के बाद से दोनों देशों
के संबंधों में आई खटास को रेखांकित किया। फ्रांस ने माली सरकार के अनुरोध पर इस्लामी
चरमपंथियों से लड़ने के लिए 2013 में अपने सुरक्षा बलों को माली भेजा था।
माली के विदेश मंत्री अब्दुल्ला दयूब ने एक बार फिर वही आरोप दोहराए, जो अगस्त में अंतरिम
सरकार ने लगाए थे। सरकार ने कहा था कि फ्रांस के विमानों ने माली के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन
किया और वह आम नागरिकों के लिए समस्याएं पैदा कर रहे “अपराधी समूहों” को सहायता प्रदान
कर रहा है।
उन्होंने “फ्रांस द्वारा माली के खिलाफ जासूसी कराने और अस्थिरता पैदा करने संबंधी सबूतों पर
प्रकाश डालने के लिए” सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक बुलाने का अनुरोध किया।
हालांकि संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के राजदूत निकोलस डि रिवेएरे ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा
कि वह “माली की अंतरिम सरकार के झूठे व मानहानिकारक आरोपों के बाद सच्चाई को फिर से
सामने लाना चाहते हैं।”
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि “फ्रांस ने कभी भी माली के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन नहीं किया।”
डि रिवेएरे ने कहा, “फ्रांस साहेल, गिनी की खाड़ी और चाड झील क्षेत्र में उन सभी राज्यों से जुड़ा
रहेगा, जिन्होंने आतंकवाद का मुकाबला करने और समुदायों के बीच स्थिरता व शांतिपूर्ण सह-
अस्तित्व का सम्मान करने का विकल्प चुना है।”