मंत्रिमंडल ने बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी, चुनाव प्रक्रिया होगी

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मोदी कैबिनेट ने बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम में संशोधन को दी मंजूरी

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)

नई दिल्ली. 12 अक्टूबर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को बहु-राज्य सहकारी समिति
अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी। इस पहल का मकसद क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ाना और चुनाव
प्रक्रिया में सुधार करना है।
सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी दे
दी है। इसके जरिये बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया
है।
उन्होंने कहा कि कारोबार में सुगमता और संचालन व्यवस्था में अधिक पारदर्शिता लाने के लिये
संशोधन विधेयक लाया गया है।
ठाकुर ने कहा कि सरकार की अगले महीने से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में संशोधन
विधेयक पेश करने की योजना है।
वर्तमान में, देश भर में 1,500 से अधिक बहु-राज्य सहकारी समितियां हैं। ये समितियां स्वयं
सहायता और पारस्परिक सहायता के सिद्धांतों के आधार पर अपने सदस्यों की आर्थिक और
सामाजिक बेहतरी को बढ़ावा देती हैं।
ठाकुर ने संशोधन विधेयक की प्रमुख बातों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने बहु-राज्य सहकारी
समितियों के निदेशक मंडल में महिलाओं और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के
प्रतिनिधित्व से संबंधित प्रावधानों को शामिल किया है।
विधेयक में 97वें संविधान संशोधन के प्रावधानों को शामिल किया जाएगा।
यह संशोधन संचालन व्यवस्था और चुनावी प्रक्रिया में सुधार, निगरानी तंत्र को मजबूत करने तथा
पारदर्शिता एवं जवाबदेही बढ़ाने के लिये लाया गया है।
विधेयक में बहु-राज्य सहकारी समितियों के कामकाज को अधिक लोकतांत्रिक, पारदर्शी और जवाबदेह
बनाने के लिये सहकारी चुनाव प्राधिकरण, सहकारी सूचना अधिकारी और सहकारी लोकपाल की
स्थापना का प्रावधान शामिल है।

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चुनाव प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि चुनाव निष्पक्ष, स्वतंत्र और समय पर हो। इससे
शिकायतों और गड़बड़ी के मामलों को कम करने में मदद मिलेगी। इसमें अधिक चुनावी अनुशासन
लाने को लेकर नियमों को तोड़ने और गड़बड़ी करने वालों को तीन साल के लिये प्रतिबंधित करने का
प्रावधान है।
वहीं, लोकपाल सदस्यों की शिकायतों के समाधान का मंच उपलब्ध कराएगा। जबकि सहकारी सूचना
अधिकारी सदस्यों को सही समय पर सूचना तक पहुंच प्रदान करके पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा।
कारोबार सुगमता के लिये संशोधन विधेयक में पंजीकरण की अवधि को कम करने का प्रस्ताव है।
इसमें आवेदकों को गलतियों के सुधार के लिये दो महीने का अतिरिक्त समय देने का प्रावधान है।
इसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके से दस्तावेज जमा करने और उसे प्राप्त करने का भी प्रावधान है। यानी
इसमें एक व्यापक डिजिटल परिवेश की व्यवस्था की गयी है।
विधेयक में बहु-राज्य सहकारी समितियों द्वारा धन जुटाने के अलावा वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित
करने का भी प्रावधान किया गया है। लेखा परीक्षा व्यवस्था से संबंधित संशोधन अधिक जवाबदेही
सुनिश्चित करेगा।
संशोधन विधेयक का मकसद देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत बनाना है।
स्थापित सहकारी सिद्धांतों के अनुरूप सहकारी समितियों के कामकाज को लोकतांत्रिक बनाने और
स्वायत्तता देने के मकसद से बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 लाया गया था।

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