



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने यात्रियों को कथित रूप से दूषित
जल आपूर्ति करने और क्लोरीनीकरण संयंत्र स्थापित करने के लिए ठेका देने में हेराफेरी से संबंधित
मामले में बुधवार को भारतीय रेल को नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ को याचिकाकर्ता के
वकील ने सूचित किया कि रेलवे ने अक्टूबर 2019 में अंतिम स्थिति रिपोर्ट दाखिल की थी। पीठ ने
कहा, ‘‘मामले में छह सप्ताह के भीतर नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें। मामला 15 फरवरी, 2023
को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें।’’
उच्च न्यायालय गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की याचिका
पर सुनवाई कर रहा था। एनजीओ ने यात्रियों को उपलब्ध कराए जाने वाले पेयजल की गुणवत्ता में
कथित रूप से लापरवाही बरतने और क्लोरोनीकरण संयंत्रों का ठेका देने में हेराफेरी करने का आरोप
लगाते हुए इस संबंध में अदालत की निगरानी में एक स्वतंत्र जांच का अनुरोध किया था।
उच्च न्यायालय ने इससे पहले किराया बढ़ोत्तरी के भारतीय रेल के पिछले फैसलों पर सवाल उठाया
था और उससे यात्रियों को दूषित पानी की आपूर्ति रोकने को कहा था। किराया तब बढ़ाया गया था
जब भारतीय रेल यात्रियों को समुचित सेवा उपलब्ध नहीं करा रहा था।
इसने निर्देश दिया था कि मामले को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष के समक्ष रखा जाए जो यात्रियों को
उपलब्ध कराए गए पानी के प्रकार पर एक रिपोर्ट देंगे और उसके बाद रिपोर्ट रेल मंत्रालय के समक्ष
रखी जाएगी।
एनजीओ के वकीलों ने पहले कहा था कि रेलवे न तो भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा पेयजल के लिए
निर्धारित मानकों का पालन कर रहा है और न ही भारतीय रेलवे चिकित्सा नियमावली का पालन कर
रहा है। उन्होंने कहा था कि स्टेशनों और ट्रेनों में उपलब्ध कराए जा रहे पानी में ई. कोलाई बैक्टीरिया
की उपस्थिति की जांच तक नहीं की जा रही है।