



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने 8 साल बाद केंद्र सरकार की आर्थिक
नीतियों पर चिंता व्यक्त की है. देश की 20 करोड़ से ज्यादा जनता गरीबी रेखा से नीचे पहुंचने पर,
7 करोड़ से ज्यादा युवा बेरोजगार होने, देश के 1 फ़ीसदी लोगों के पास सकल आय का 20 फ़ीसदी
हिस्सा होने, देश की 50 फ़ीसदी आबादी के पास केवल 13 फ़ीसदी हिस्से की बात को लेकर उन्होंने
सरकार की आर्थिक नीतियों पर कड़ा प्रहार किया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुवांशिक संगठन
स्वदेशी जागरण मंच के कार्यक्रम में उन्होंने देश की 23 करोड़ जनता जिनकी की आय 375 रूपये
से भी कम है। बेरोजगारी की दर 7.6 फीसदी पर गंभीर चिंता जताते हुए पिछली सरकारों पर दोष
मढ़ दिया। इससे संघ की चिंता दिखावटी ज्यादा वास्तविक कम नजर आती है।
देश की वर्तमान हालत का मुख्य कारण वैश्विक व्यापार संधि डब्ल्यूटीओ है। स्वदेशी जागरण मंच ने
लगातार 1993 से लेकर 2014 तक स्वदेशी की लड़ाई लड़ी। विदेशी निवेश का लगातार विरोध
किया। रिटेल सेक्टर में विदेशी निवेश को लेकर जबरदस्त विरोध स्वदेशी जागरण मंच ने किया। संघ
के चिंतक गोविंदाचार्य ने भी समय-समय पर भारी विरोध किया। गोविंदचार्य ने एक नया चिंतन देश
के सामने रखा। जब-जब कांग्रेस की सरकार केंद्र में होती हैं। तब संघ खुलकर विरोध करता था। सही
मायने में कांग्रेस सरकार के ऊपर संघ परिवार और विशेष रूप से स्वदेशी जागरण मंच का सबसे
ज्यादा दबाव था। उसी दबाव के कारण केंद्र में जब जब कांग्रेस की सरकार रही है। बैंक बीमा एवं
अन्य सेक्टर में 20 से 30 फीसदी से ज्यादा विदेशी निवेश की अनुमति मनमोहन सिंह की सरकार
आसानी से नहीं दे पाई। रिटेल सेक्टर में विदेशी निवेश को तो किसी भी कीमत में स्वदेशी जागरण
मंच तैयार नहीं था। विदेशी निवेश के मुद्दे पर भाजपा नेताओं ने संसद नहीं चलने दी। वहीं विदेशी
निवेश के मुद्दे पर सड़कों पर प्रदर्शन स्वेदशी जागरण मंच के नेतृत्व में संघ के अनुवांशिक संगठन
करते थे। सैकड़ों बार प्रदर्शन हुए।
2014 में जैसे ही केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनी। उसके बाद से ही संघ और स्वदेशी
जागरण मंच चुपचाप होकर घर पर बैठ गया। प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद सबसे पहला काम नरेंद्र
मोदी ने विदेशी निवेश 100 फ़ीसदी सभी क्षेत्रों के लिए खोल दिया। रक्षा और मीडिया भी इससे
अछूते नहीं रहे। स्वदेशी जागरण मंच और संघ की नीतियों पर मोदी सरकार का सबसे बड़ा
कुठाराघात था। लेकिन संघ और अनुवांशिक संगठन, स्वदेशी जागरण मंच चुपचाप तमाशा देखता
रहा। पिछले 8 वर्षों में जिस तरीके से अर्थव्यवस्था का कबाड़ा हुआ है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां तेजी के
साथ भारत में प्रवेश करती जा रही हैं। देश का आयात बढ़ रहा है, वहीं निर्यात उस तुलना में नहीं
बढ़ा। आर्थिक चिंतक गोविंदाचार्य कहां है, इसका पता नहीं। अब जब स्थिति बिल्कुल कंट्रोल के बाहर
हो रही है। तब संघ एक तरह से भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कवच के रूप में महंगाई और
बेरोजगारी की बात करके अपनी साख और अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए मैदान में उतरने
को मजबूर हुआ है?
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में महंगाई, बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था को लेकर जिस तरह से
जनसमूह, राहुल गांधी कि भारत जोड़ो यात्रा के साथ जुड़ रही है। उसके बाद संघ और अनुवांशिक
संगठन मोदी सरकार का बचाव करने के उद्देश्य से महंगाई और बेरोजगारी का मुखौटा लगाकर
बयानबाजी कर रहे है। एक बार जनता के सामने, पिछली सरकारों पर ठीकरा फोड़कर संघ परिवार
भाजपा की केंद्र सरकार का बचाव करने के लिए सामने आया है। सर-कार्यवाह दत्तात्रय होसबोले का
ताजा बयान पूर्ण रूप से दिखावटी चिंता का है। आम जनता के ऊपर इस बयान का कितना असर
होगा, इसका भविष्य में ही पता चल सकेगा।