कैसे बनें स्मार्ट एम्प्लाई?

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स्मार्ट कैसे बनें? स्मार्ट बनने के 10 टिप्स। 10 tips to become smart

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )

क्यों कोई छोटी-सी बात बड़ी बन जाती है! ऐसा क्यों होता है कि आप कुछ कहना चाहते हैं, लेकिन
आपके सहयोगी उसका दूसरा अर्थ लेते हैं। आखिर यह क्यों नहीं होता कि आप जैसा चाहते हैं, लोग
उन बातों को उसी रूप में लें, आदि तमाम सवाल हैं, जिनका हल निकालना एक बेहतर कामकाजी
संबंध के लिए बहुत जरूरी होता है। लेकिन सच तो यह है कि आप बेहतर कामकाजी-संबंध बनाने में
तभी सफल हो सकते हैं, जब कुछ खास बातों का ध्यान रखें।
समय का रखें पूरा ध्यान:- ऑफिस में कई सारे काम ऐसे भी होते हैं, जिन पर आपसी सहमति की
जरूरत होती है। इसलिए कामकाज की अत्यधिक व्यस्तता के बीच आपस में विचार-विमर्श करने का
पर्याप्त समय जरूर निकालें। हां, कुछ खास समय होते हैं, जब थोड़ा कम वर्क-प्रेशर होता है, जैसे-
काम के फस्र्ट ऑवर में, लंच के तुरंत बाद और ऑफिस ऑवर खत्म होने के बाद आप अपनी बात
अपेक्षाकृत ज्यादा बेहतर ढंग से रख सकते हैं। दरअसल, ऐसा करने से इसका सकारात्मक आपके
प्रोजेक्ट या काम पर भी पड़ेगा।
रहें कूल कूल:- यदि आपको लगता है कि आपकी बात को आपके बॉस या कॅलीग ठीक से नहीं समझ
पा रहे हैं, तो ऐसे समय में परेशान होने की बजाय कूल रहने का प्रयास करें। यदि आपकी बात में
दम है और आपने उसे तार्किक रूप से पेश किया है, तो देर से ही सही, आपकी बात को वे जरूर
समझेेंगे। हां, जब आपको कुछ समय बाद यह लगे कि आपको अपेक्षित रिस्पांस नहीं मिल पाया है,
तो उस विषय पर आपको दोबारा जरूर मिलना चाहिए। लेकिन इस दौरान भी आपको अपनी बातें
शांतिपूर्ण ढंग से ही रखनी चाहिए। ध्यान रहे, कूल रहकर आप अपनी बातों को और ज्यादा प्रभावी
ढंग से कह सकते हैं।
रखें अपनी बात:- यदि कोई बात आपको पसंद न आए या आपको लगता है कि किसी मसले पर आप
अपनी राय देकर उसे और बेहतर बना सकते हैं, तो यह कहने में आपको बिल्कुल गुरेज नहीं करनी
चाहिए। हां, इस दौरान यदि आप किसी की बात से आहत होते हैं, तो उस पर त्वरित प्रतिक्रिया देने
की बजाय, आपको उस बात से क्या तकलीफ हुई है, यह भी जरूर व्यक्त करें, जैसे-यह सही है कि
हर किसी को अपनी बात कहने की स्वतंत्रता होती है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि किसी और
की भावना को इससे आहत पहुंचे।
समय रहते हो जाएं सतर्क:- यदि आपको लगता है कि आपकी बात को अन्यथा लिया जा रहा है, तो
समय रहते इस स्थिति को जरूर सुधारने का प्रयास करें।

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मिलनसार बनें:- यदि आप मिलनसार हैं और सबसे मुस्कुराकर मिलते हैं और उनका अभिवादन करते
हैं, तो इसमें कोई दो राय नहीं कि आपके कामकाजी संबंध जरूर अच्छे होंगे। दरअसल, मिलनसार
व्यक्ति हमेशा एक सकारात्मक प्रभाव जरूर छोड़ते हैं। सच तो यह है कि ऐसे व्यक्तियों से मिलना
हर किसी को अच्छा लगता है। वहीं दूसरी तरफ, जो मिलनसार या खुशमिजाज नहीं होते, उनके प्रति
प्रायः एक नकारात्मक छवि बन ही जाती है। इसलिए हर कोई उनसे अत्यधिक जरूरत पडने पर
मिलना पसंद करते हैं।
जानें स्वभाव:- यदि आप अपने कॅलीग या बॉस का निजी स्वभाव जानते हैं और आपको यह अच्छी
तरह पता होता है कि वे किस बात पर नाराज या खुश होते हैं, तो बेहतर संबंध स्थापना की दिशा में
यह काफी मददगार हो सकता है।

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