



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )
आजकल हमारे समाज में बुजुर्ग /सयाने लोगों की बहुत दयनीय स्थिति हैं, विशेष रूप से जो वृद्ध
जिनकी आमदनी का कोई जरिया नहीं रहता हैं।इसके अलावा जिन बच्चों को पढ़ाया -लिखाया वक्त
के साथ उनके व्यवहार /नजरिये में अंतर आ जाता हैं।जो पेंशन भोगी हैं वे कुछ सीमा तक सुरक्षित
कह सकते हैं पर उम्र का तकाज़ा पराधीनता को मजबूर कर देती हैं।
वृद्धकाले मृत्ता भार्या बन्धुहस्ते गतं धनं।
भोजनं च पराधीनं तिस्र: पुंसां विडम्बना:.
वृद्धावस्था में पत्नी का देहांत हो जाना, अपने धन का भाई बंधुओं के हाथ में चला जाना और
भोजन के लिए दूसरों का मुंह ताकना -ये तीनो बातें मनुष्यों के लिए मृत्यु के समान दुःख देने वाली
हैं।
अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस हर साल 1 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन हमारे समाज में वरिष्ठ
नागरिकों के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने और उनके योगदान की सराहना करने के लिए
मनाया जाता है। वरिष्ठ नागरिक समाज के नेताओं के रूप में अपने कंधों पर बहुत सारी जिम्मेदारी
लेते हैं। वे समाज की परंपराओं, संस्कृति को भी आगे बढ़ाते हैं और ज्ञान को युवा पीढ़ी तक पहुंचाते
हैं।
हालाँकि, वृद्ध लोग भी अत्यधिक असुरक्षित होते हैं, जिनमें कई लोग गरीबी में पड़ जाते हैं, स्वास्थ्य
संबंधी समस्याओं या भेदभाव का सामना करते हैं। उन्हें कभी-कभी दुर्व्यवहार का भी सामना करना
पड़ता है, जिसका उन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
यह दिन अपने जीवन को खुशहाल बनाने के लिए वृद्ध लोगों के प्रति दुनिया की जिम्मेदारियों पर
ध्यान केंद्रित करने के लिए भी मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की जनसंख्या 962 मिलियन
से बढ़कर 1.4 बिलियन हो जाएगी, विश्व स्तर पर 46% की वृद्धि, 2017 और 2030 के बीच।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्तमान में, उनकी जनसंख्या 600 मिलियन है। यह 2025 तक
दोगुना और 2050 तक 2 बिलियन को छूने की ओर अग्रसर है।
उनकी आबादी युवाओं के साथ-साथ 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से भी अधिक होगी। विकासशील
अर्थव्यवस्थाओं में बुजुर्गों की आबादी में वृद्धि सबसे तेजी से होगी। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार
जनसंख्या बुढ़ापा 21वीं सदी का सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन होगा।
दवाओं और अन्य प्रौद्योगिकियों में प्रगति, पिछले कुछ वर्षों में जीवन प्रत्याशा में तेजी से वृद्धि हुई
है। शिक्षा, अर्थशास्त्र, स्वच्छता, चिकित्सा विज्ञान और स्वास्थ्य देखभाल में सुधार ने भी जीवन
प्रत्याशा में वृद्धि में बहुत योगदान दिया है।
भारत में बुजुर्ग
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जनसंख्या 1.36 बिलियन
थी और जनसंख्या का 6% 65 और उससे अधिक था। भारत की जीवन प्रत्याशा भी 1969 में 47
वर्ष से बढ़कर 2019 में 69 वर्ष हो गई है।
भारत सरकार विभिन्न योजनाएं चलाती है और 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को निवारक,
पुनर्वास सेवाएं प्रदान करती है। सरकार बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य देखभाल का राष्ट्रीय कार्यक्रम भी
चलाती है जो वरिष्ठ नागरिकों को विशेष उपचार प्रदान करती है।
बुजुर्गों के प्रति संतानों का व्यवहार समुचित होना चाहिए कारण संताने भी भविष्य के बुजुर्ग हैं। जैसा
व्यवहार करोगे वैसा प्रतिफल अवश्य मिलेगा।