



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)
वाशिंगटन, 15 सितंबर अमेरिका के न्याय विभाग ने बुधवार को कहा कि ईरान के तीन
नागरिकों पर देश में रैंसमवेयर हमले करने के आरोप लगाए गए हैं। उन पर बिजली कंपनियों,
स्थानीय सरकारों, छोटे कारोबारों और घरेलू हिंसा के पीड़ितों के एक आश्रय गृह समेत कई गैर-
लाभकारी संगठनों को निशाना बनाने का आरोप है।
विभाग ने कहा कि हैकिंग के संदिग्धों पर अमेरिका और दुनियाभर में सैकड़ों संस्थाओं को निशाना
बनाने, आंकड़े चुराने तथा फिरौती न देने पर डेटा सार्वजनिक करने की धमकी देने का आरोप लगाया
गया है। कुछ मामलों में पीड़ितों ने फिरौती भी दी है।
बाइडन प्रशासन ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि ये हैकर किसके इशारों पर काम करते हैं।
पिछले वर्ष ईरान के हैकर जांच के दायरे में थे। संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने बोस्टन के एक
बाल चिकित्सालय में किए जाने वाले साइबर हमले को रोक दिया था। ऐसा आरोप है कि ईरान
सरकार द्वारा प्रायोजित हैकरों ने अस्पताल पर साइबर हमला करने की कोशिश की थी।
एफबीआई निदेशक क्रिस्टोफर व्रे ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा, ‘‘हमारे देश में साइबर
हमले का खतरा हर दिन अधिक जटिल होता जा रहा है। आज की घोषणा से साफ है कि यह खतरा
स्थानीय और वैश्विक, दोनों स्तर पर है। हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते और न ही हम केवल
अपने बलबूते इससे लड़ सकते हैं।’’
न्याय विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि ऐसा माना
जा रहा है कि बुधवार को मुकदमे में नामजद हैकर ईरान सरकार की ओर से काम नहीं कर रहे थे,
बल्कि अपने वित्तीय मुनाफे के लिए काम कर रहे थे और इन्होंने जिन लोगों को शिकार बनाया था,
उनमें से कुछ ईरान में थे।
वहीं, बुधवार को वित्त विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण विभाग ने ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूशनरी
गार्ड से संबद्ध दो संस्थाओं और 10 लोगों पर प्रतिबंध लगाए। विभाग का आरोप है कि ये लोग और
संस्थाएं रैंसमवेयर सहित विभिन्न दुभावर्नापूर्ण साइबर गतिविधियों में शामिल रही हैं।