



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)
नई दिल्ली, 14 सितंबर संसद की एक समिति ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
से औषधि, चिकित्सा उपकरण एवं प्रसाधन सामग्री पर संयुक्त विधेयक तैयार करने की बजाए
चिकित्सा उपकरण विषय पर एक पृथक कानून बनाने तथा एक ‘‘राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण आयोग’’
गठित करने की सिफारिश की है।
समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद रामगोपाल यादव की अध्यक्षता वाली स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
संबंधी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। ‘चिकित्सा उपकरण : विनियमन
एवं नियंत्रण’ विषय पर यह रिपोर्ट सोमवार को राज्यसभा के सभापति को सौंपी गई थी। रिपोर्ट के
अनुसार, समिति का यह मानना है कि चिकित्सा उपकरण पर नये विधान में ऐसे प्रावधान होने
चाहिए जिनसे देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव हो सके।
संसदीय समिति ने कहा कि अर्थव्यवस्था एवं जीवन प्रत्याशा में बेहतरी, आय का स्तर एवं स्वास्थ्य
के बारे में जागरूकता के चलते हाल के वर्षों में चिकित्सा उपकरण का क्षेत्र एक व्यापक उद्योग बन
गया है तथा इसके बेहतर विनियमन एवं नियंत्रण की जरूरत महसूस की गई है।
समिति का मानना है कि इस उद्योग के सभी पक्षकारों की भूमिका और जवाबदेही सहित विनिर्माण
इकाईयों, चिकित्सा संस्थानों, प्रयोगशालाओं, क्लीनिकल ट्रायल से जुड़ी गतिविधियों के नियमन को
लेकर एक सुसंगठित, समावेशी एवं गहन शोध वाले कानूनी ढांचे की जरूरत है।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने चिकित्सा उपकरणों के लिए अलग प्रावधान वाला नया ‘औषधि,
चिकित्सा उपकरण एवं प्रसाधन सामग्री विधेयक’ तैयार करने के लिये समिति गठित करने का
स्वागत किया है लेकिन उसका मानना है कि सरकार को इन विषयों पर संयुक्त विधेयक तैयार करने
की बजाए चिकित्सा उपकरण उद्योग की क्षमता को देखते हुए चिकित्सा उपकरण पर एक पृथक
कानून बनाना चाहिए।
समिति ने कहा कि इस विषय पर समिति गठित करने की बजाए सरकार को एक ‘‘राष्ट्रीय चिकित्सा
उपकरण आयोग’’ गठित करना चाहिए जो इस उद्योग से जुड़े सभी पहलुओं पर विस्तार से विचार
करे और एक व्यापक नीति एवं संस्थागत ढांचे से युक्त एक समग्र कानून लाए।
इसमें कहा गया है कि समिति ने सिफारिश की है कि प्रस्तावित आयोग को चिकित्सा उपकरण से
जुड़ी लाइसेंस की व्यवस्था के केंद्रीकरण के पहलुओं का भी अध्ययन करना चाहिए ताकि मंजूरी की
प्रक्रिया को आसान बनाा जा सके।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र का आकार 11 अरब डालर है और वैश्विक बाजार
में देश की हिस्सेदारी 1.5 प्रतिशत है। जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद भारतीय बाजार का
स्थान एशिया में चौथा है। कोविड-19 महामारी के बाद इस क्षेत्र में वृद्धि देखी गई है।