विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)
संयुक्त राष्ट्र, 14 सितंबर संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने
कहा है कि भारत दक्षिण-दक्षिण सहयोग को प्रोत्साहित का भरपूर प्रयास करेगा जो कि आज के
समय में और भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि कोविड-19 महामारी के दौरान विकासशील देशों को
अपनी सुरक्षा स्वयं करने के लिए लगभग उनके हाल पर छोड़ दिया गया था।
दक्षिण-दक्षिण सहयोग, दुनिया के दक्षिणी हिस्से के देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक,
सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग का एक व्यापक खाका है।
त्रिकोणीय सहयोग एक ऐसा सहयोग है जिसमें पारंपरिक दानदाता देश और बहुपक्षीय संगठन दक्षिण-
दक्षिण सहयोग की आर्थिक सहायता, प्रशिक्षण, प्रबंधन और अन्य तरीकों से सुविधा प्रदान करते हैं।
दक्षिण-दक्षिण तथा त्रिकोणीय सहयोग, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग का एक अहम
कारक है और इसके जरिये दक्षिण-दक्षिण व्यापार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण
में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
राजदूत कंबोज ने मंगलवार को कहा, “भारत में हमारा मानना है कि दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय
सहयोग, बहुपक्षीय तरीके से करना सही है। विकास के लिए काम करना सही चीज है। भारत
बहुपक्षवाद के लिए प्रतिबद्ध है और वह संयुक्त राष्ट्र में दक्षिण-दक्षिण सहयोग का समर्थन करता
है।”
कंबोज ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान बहुपक्षीय संस्थानों के लचीलेपन की परख हुई और
दुनिया के दक्षिणी हिस्से ने खुद ही अपने बचाव के लिए ज्यादातर काम किया।
उन्होंने कहा, “महामारी के दौरान दुनिया के दक्षिणी हिस्से को खुद ही अपना बचाव करने के लिए
छोड़ दिया गया था और इस परिप्रेक्ष्य में दक्षिण-दक्षिण सहयोग और भी अहम हो गया है। भारत इसे
आगे ले जाने के लिए भरपूर प्रयास करेगा।”