



विजय कुमार ( मैट्रो एडिटर)
नई दिल्ली, 28 अगस्त। दद्दा ध्यानचंद के जन्मदिवस 29 अगस्त को देशभर में खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। लेकिन कुछ ही लोग यह जानते होंगे कि दद्दा हॉकी के ही बेहतरीन खिलाड़ी नहीं बल्कि क्रिकेट में भी उनको शानदार बल्लेबाज के रूप में जाना जाता था। दद्दा के साथ रहने वाले लोगों ने एक बार एक बातचीत में बताया था कि वह सेना छोड़ने के उपरांत एनआईएस पटियाला में बतौर अध्यापक कार्यरत थे। पटियाला में साल में एक बार अध्यापकों और वहां के छात्रों के बीच क्रिकेट मैच हुआ करता था। ऐसे में छात्रों की तैयारी चल रही थी तो दूसरी तरफ अध्यापक भी क्रिकेट मैच को लेकर देर रात तक चर्चा करते थे।
जिस दिन क्रिकेट मैच होना था उस दिन सुबह दद्दा ध्यानचंद अध्यापकों के कप्तान के पास पहुंचे और कहा कि वह भी क्रिकेट टीम में खेलेंगे। इस पर कप्तान ने कहा कि आपने हॉकी खेली कैसे खेल पाओगे। लेकिन उनके सामने कौन बोल सकता था। मगर मैदान में क्रिकेट खेलता देख साथी अध्यापक ही नहीं, बल्कि छात्र भी मुरीद हो गए।
-उनके एक साथी दुनिया में नहीं है ने शिवाजी स्टेडियम पर एक बातचीत के दौरान बताया था कि उस मैच में करीब 45 से 50 रनों की पारी खेली थी। दद्दा जब आउट होकर आए तो सभी ने उनका सम्मान अपनी सीटों से खड़ा होकर किया। जिस पर दद्दा ने कहा भाइयों जब हॉकी की स्टिक से हम गेंद नहीं जाने देते तो बैट तो स्टिक से चौड़ा होता है। यहीं नहीं इस मैच में पहली बार अध्यापकों की टीम ने जीत दर्ज की थी।
उन्होंने इसी तरह का एक किस्सा और बताया कि एक बार पटियाला में ही दद्दा हाकी खेल रहे थे, वे लगातार गोल मारने के प्रयास करते और बॉल गोल पोस्ट से लगकर बाहर चली जाती। इस तरह दद्दा तीन-चार बार प्रयास करने के बाद गोल नहीं कर सके तो उन्होंने वहां मैच कराने वाले अंपायर को बुलाकर कहा था वह गोल पोस्ट को नापे उनको शक है कि गोल पोस्ट छोटा बना है जिससे उनके निशाने गलत हो रहे। मैच का टाइम हुआ और अंपायर फीता लेकर गोल पोस्ट को नापने पहुंचे। अंपायर का था कि दद्दा की बात सही। उनके अनुसार भी गोल पोस्ट की लंबाई कम निकली। इस बात की पुष्टि उनके बेटे अशोक ध्यानचंद भी करते हैं। मालूम हो कि अशोक भी दद्दा की तरह ही एक शानदार हाकी tv 1928, 1932 व 1936 मंे जीतने वाली टीम के सदस्य रहें हैं दद्दा।