रूस ने पकड़ा भारत का दुश्मन

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विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )

रूस से संबंधित अभी-अभी दो घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिन्होंने सारी दुनिया का ध्यान खींचा है। पहली घटना है-
दारिया दुगिना की हत्या। यह लड़की रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन के मुख्य रणनीतिकार अलेक्जेंडर दुगिना की बेटी
थी। दूसरी घटना भारतीयों के लिए और भी ज्यादा गंभीर है। वह है आजमोव की गिरफ्तारी की। आजमोव को रूसी
पुलिस ने गिरफ्तार किया है, क्योंकि उससे कई ठोस प्रमाण मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि उज्बेकिस्तान का
यह नागरिक किसी बड़े भारतीय नेता की हत्या के लिए तैयार किया गया था। यह ‘इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान
प्राॅविंस’ का कारिंदा है। यह मुसलमान युवक किसी पूर्व सोवियत राज्य से आकर तुर्किए में प्रशिक्षित हुआ है। इसे
जिम्मेदारी दी गई थी कि वह भारत जाकर किसी नेता पर आत्मघाती हमला करे। यह हमला नूपुर शर्मा के बयान
के विरोध में होना था।
अब से तीन माह पहले ‘इस्लामिक स्टेट’ ने 50 पृष्ठ का एक दस्तावेज इसी मुद्दे पर जारी किया था, जिस पर
गाय के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चित्र भी था। तुर्किए में प्रशिक्षित यह 30 वर्षीय उज्बेक आजमोव रूस पहुंच
कर भारत आने की फिराक में था। इसके पीछे काम कर रही ‘इस्लामिक स्टेट’ चाहती थी कि वह ‘अल-क़ायदा’ के
उग्रवाद से भी आगे निकल जाए। जब रूसी गुप्तचर एजेंसी ने आजमोव को गिरफ्तार करके कड़ी पूछताछ की तो
उसने बहुत-से रहस्यों को उगल दिया। मध्य एशिया के इन पूर्व-सोवियत देशों में इस्लामिक कट्टरवाद को रूसी
कम्युनिस्टों ने कभी पनपने नहीं दिया था। इन पांच राष्ट्रों के सात करोड़ लोग ठीक से नमाज पढ़ना भी नहीं
जानते थे। वे रोजा भी ठीक से नहीं रखते थे। उन्होंने अपने तुर्की और फारसी नामों का भी रूसीकरण कर लिया
था। जैसे आजम का आजमोव और रहमान का रहमानोव। लेकिन पड़ोसी मुस्लिम राष्ट्रों की मेहरबानी से वहां
उग्रवाद और आतंकवाद की भट्टियां धधकने लगी हैं।
इन स्वतंत्र हुए सभी प्राचीन आर्य राष्ट्रों में मुझे पहले और अब भी रहने का अवसर मिला है। मैं उनकी भाषा भी
बोल लेता हूं। वे यदि उग्रवाद और आतंकवाद को नियंत्रित नहीं कर पाएंगे तो इन देशों को बर्बाद होने से कोई रोक
नहीं पाएगा। रूस को इन देशों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी पड़ सकती है। जहां तक दारिया दुगिना की हत्या का
सवाल है, रूसी अधिकारियों का कहना है कि एक यूक्रेनी औरत, जिसका नाम नतालिया वोक है, उसने दारिया की
हत्या की है। वह भेजी तो गई थी अलेक्जेंडर दुगिना की हत्या के लिए लेकिन दारिया ही उसके हाथ लग गई।
दारिया को श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्रपति पुतिन ने उसे गहन राष्ट्रवादी और निर्भीक युवती बताया है। हालांकि यूक्रेन
के राष्ट्रपति तथा अन्य अधिकारियों ने इस हत्याकांड से अपना कोई भी वास्ता नहीं बताया है लेकिन यह घटना
रूस-यूक्रेन युद्ध को और भी गंभीर रूप प्रदान कर सकती है। रूसी जांच एजेंसी को शक है कि हत्या करने के बाद
नतालिया तुरंत भागकर एस्टोनिया में छिप गई है। एस्टोनिया एक पूर्व-सोवियत राष्ट्र है और आजकल रूस से
उसके संबंध सामान्य नहीं हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि अब यह रूसी युद्ध यूक्रेन के बाहर भी फैल जाए।
(लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं।)

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