



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )
हाइपोथायरॉयडिज्म या असक्रिय थायरॉयड के कारण थकान, जोड़ों में दर्द, धड़कनों का अनियमित हो जाना और
डिप्रेशन जैसे लक्षण नजर आते हैं। इसकी वजह से पूरे मेटाबॉलिज्म पर प्रभाव पड़ता है और इससे वजन बढ़ने की
आशंका और तेज हो जाती है। दवाओं के साथ एक्सरसाइज का भी सही डोज मिले तो हाइपोथायरॉयडिज्म से जुड़े
लक्षणों को दूर करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है। साथ ही साथ कार्डियोवेस्कुलर हेल्थ में भी सुधार होता
है।
धड़कनें होंगी नियमित :- यदि हाइपोथायरॉयडिज्म का इलाज ना कराया जाए तो थायरॉयड हॉर्मोन का निम्न स्तर
कार्डियक फिटनेस पर असर डाल सकता है। साथ ही इस समस्या से गुजर रहे रोगियों की धड़कनें भी अधिक तेज
गति से चलने लगती हैं। दवा, एक्सरसाइज की मदद से कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम को मजबूत किया जा सकता है।
नियमित रूप से दौड़ने, चलने या कोई खेल खेलने से कार्डियक हेल्थ बेहतर होती है। इससे डिप्रेशन और थकान
जैसे लक्षण दूर होते हैं।
जोड़ होते हैं मजबूत :- हाइपोथायरॉडिज्म से पीड़ित लोगों में मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है। घुटनों पर कम
प्रभाव डालने वाली गतिविधियां जैसे योगा, पाइलेट्स, वॉकिंग, स्वीमिंग और बाइकिंग आदि फायदेमंद होती है।
मांसपेशियां मजबूत होती हैं :- चूंकि हाइपोथायरॉइडिज्म के कारण मेटाबॉलिज्म दर कम हो जाता है और ऐसे में
वजन तेजी से बढ़ने लगता है। वजन बढ़ने के कारण कई अन्य सेहत संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग
के जरिए मसल्स बनाने से इनके प्रभावों को कम किया जा सकता है। कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि
मोटापे के कारण एक्सरसाइज के प्रति प्रतिक्रिया की गति कम हो जाती है।
नारी संसार
महिलाएं जानें ऑस्टियोपोरोसिस से जुड़े खतरे
ऑस्टियोपोरोसिस एक क्रॉनिक बोन डिसीज है, जिसे हड्डियों का घटता घनत्व और उनके ऊतकों के कम होने के
रूप में समझा जा सकता है। पूरी दुनिया में इससे लाखों की संख्या में लोग पीड़ित हैं। इससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़
जाता है और जीवन की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। इसके प्रति जागरूक रहकर महिलाएं इसके खतरों से बची रह
सकती हैं और अपनी हड्डियों को सुरक्षित रख सकती हैं।
हींग :- भोजन में इसे डालने का उद्देश्य ही यही होता है क्योंकि इसमें पाचन का गुण मौजूद है। इसकी खुशबू
काफी तेज होती है। गैस की स्थिति में हींग काफी फायदेमंद होती है। एक चुटकी हींग को छाछ में नमक के साथ
मिलाकर खाने के बाद लेने से पेट दर्द की स्थिति में राहत मिलती है। हींग की हल्की मात्रा पानी में घुल जाती है,
इसका पेस्ट बनाकर नाभि के ऊपर लगाएं। इसके टुकड़े का दर्द देते दांत पर रखने से दर्द में राहत मिलती है।
ब्रोनकाइटिस की स्थिति में भी हर दिन हींग लेने की सलाह दी जाती है। साइटिका, फेशियल पाल्सी, पैरालिसिस
आदि की स्थिति में हींग को घी में भूनकर लेने से काफी लाभ मिलता है।
ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या क्या होती है…
-ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या तब होती है जब उनकी हड्डियों का बहुत अधिक नुकसान हो जाता है। लेकिन
हड्डियों का निर्माण बहुत कम मात्रा में होता है। या फिर दोनों ही स्थितियां हो सकती हैं।
-इसकी वजह से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और आसानी से टूट जाती हैं।
-ऑस्टियोपोरोसिस के कारण बोन फ्रैक्चर की समस्या आमतौर पर स्पाइन, हिप और कलाइयों में होती है।
किन्हें हैं ऑस्टियोपोरोसिस…
-विश्व में लगभग 200 मिलियन महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रसित हैं।
-पचास साल से अधिक उम्र की तीन में एक महिला को ऑस्टियोपोरोसिस संबंधित फ्रैक्चर होने का खतरा रहता है
वहीं पुरुषों में यह अनुपात पांच में से एक है।
-ऐसा माना जा रहा है कि 2050 तक एशिया में पूरे विश्व के फ्रैक्चर के पचास प्रतिशत मामले पाए जाएंगे।
45 व उससे अधिक उम्र के लोगों में…
ऑस्टियोपोरोसिस के कारण 45 से अधिक उम्र की महिलाएं डायबिटीज, हार्ट अटैक और ब्रेस्ट कैंसर की तुलना में
अस्पताल में अधिक भर्ती होती हैं।
ये होती है खतरे की बात…
-कैल्शियम का कम स्तर और विटामिन डी कम मात्रा में ग्रहण करना
-जेंडर
-एनॉरेक्जिया
-फैमिली हिस्ट्री
किसी प्रकार का वजन नहीं उठाने की आदत….
-उम्र
-सेक्स हॉर्मोन का निम्न स्तर
-धूम्रपान, शराब और कुछ खास प्रकार की दवाएं