सपनों की उड़ान

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विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )

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मलय चिडिया की तरह उड़कर नदी पार करना चाहता था। एक दिन वह बाजार से बहुत बड़ा गुब्बारा खरीद कर
लाया। अपने दोस्तों के साथ मिलकर वह उसे नदी तक ले गया। वहां उन्होंने गुब्बारे को दो रस्सियों के सहारे दो
खूंटों से बांध दिया। नीचे आग जलाकर गुब्बारे में गर्म हवा भरने लगे। जब वह पूरी तरह गर्म हवा से भर गई, तो
उन लोगों ने आग बुझा दी। मलय ने झट से रस्सी पकड़ ली, तब उसके दोस्तों ने रस्सी को खूंटे से खोल दिया।
गुब्बारे के साथ मलय उड़ने लगा। खुले आसमान में उड़ते हुए वह खुद को चिडियों की तरह महसूस कर रहा था।
एक बड़े गुब्बारे के साथ मलय को उड़ता देखकर वहां काफी लोगों की भीड़ जमा हो गई। लोग आश्चर्य से उसे

देखने लगे। मलय के दोस्त भी काफी खुश नजर आ रहे थे। उधर मलय आकाश में उड़ता जा रहा था। ऊपर से
देखने पर उसे नदी, खेत-खलिहान बेहद खूबसूरत लग रहे थे। देखते ही देखते उसने नदी पार कर ली। उसकी खुशी
का ठिकाना नहीं रहा। गुब्बारा अब धीरे-धीरे नीचे की ओर आ रहा था। अचानक उसका गुब्बारा एक बड़े पेड़ की
टहनियों से टकरा गया। एक जोरदार धमाके के साथ गुब्बारा फट गया और उतनी ही तेजी से मलय भी जमीन पर
आ गिरा। उसके बायें पैर में मोच आ गई और उसके शरीर पर भी काफी खरोंचें आई, जिससे खून बहने लगा। इधर
मलय को गिरता देखकर उसके पापा और दोस्त नाव पर सवार होकर नदी पार आ गए। उसे जल्दी से उठाया और
घर ले आए। उसके पापा ने उसकी मरहम पट्टी कराई और बोले-बेटे मुझे तुम पर गर्व है। सफलता की राह में
अनेक मुश्किलें आती हैं, इसलिए निराश मत होना। तब मलय बोला-पापा मुझे चोटिल होने का कोई दुख नहीं है,
क्योंकि आज मैंने अपने सपनों की उड़ान भरी है। दर्द का एहसास होने पर भी यात्रा मजेदार रही।

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