



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )
पति खुश तो आप खुश! अगर आप भी यही मानती हैं, तो बस चंद मिनट उनकी तारीफ करिए और फिर देखिए
वह आपको खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। लेकिन तारीफ में कहेंगी क्या? चलिए हम आपको बताते हैं।
रोमांस में बेस्ट
अपने पति को बताएं कि रोमांस करते वक्त वह जितने एक्सपेरिमेंट करते हैं, वह सब आपको बहुत पसंद आते हैं।
उन्हें इस बात का एहसास कराएं कि वह दुनिया के सबसे रोमांटिक इंसान हैं और इसलिए आप उनकी दीवानी हैं।
बस फिर देखिएगा, उनका रोमांस उसी दिन से दोगुना हो जाएगा।
तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं
लड़कों को अच्छा लगता है जब कोई लड़की कहती है कि वह उनकी मदद और सलाह के बिना अपना कोई काम
पूरा नहीं कर पाती। लड़कों के लिए यह बहुत बड़ी बात होती है कि कोई खास शख्स उनके बिना नहीं जी पाता।
अपने पति को बताएं कि उनके बिना आपकी जिंदगी कभी इतनी खूबसूरत नहीं हो पाती और न ही आप कोई काम
कर पातीं।
प्यार जरूरी
आप पतिदेव की कितनी भी तारीफ कर लें, लेकिन अगर प्यार का इजहार नहीं करेंगी, तो सब व्यर्थ हो जाएगा।
इसलिए जरूरी है कि उनकी दिल की फीलिंग से खुद को कनेक्ट करें। इसलिए अपने पति को समय-समय पर प्यार
का इजहार नए-नए तरीकों से करती रहें। इसके लिए गिफ्ट और खूबसूरत शब्दों का सहारा ले सकती हैं।
तुम जीनियस हो
जॉब को लेकर अगर अपने पति की तारीफ करेंगी, तो आपके पति आपसे खुश हो जाएंगे। उन्हें लगेगा कि वह जो
भी मेहनत करते हैं आप उसे नोटिस करती हैं और उन्हें इन्टेलिजेंट मानती हैं। उन्हें बताएं कि जिस तरह वह काम
के प्रति डेडिकेटेड हैं और स्मार्ट तरीके से काम को निपटा देते हैं, वह देखकर आप उनकी फैन बन जाती हैं।
तुम बहुत हॉट हो
यकीनन जब आपके मुंह से पति यह कॉम्पलिमेंट सुनेंगे, तो एक बार फिर से नॉटी-हॉटी हरकतें करने लगेंगे। गुड
लुक्स की तारीफ को लड़के बहुत नॉर्मली लेते हैं, लेकिन अपनी पत्नी के मुंह से यह शब्द उनके अंदर रोमांस की
भावना जगा देते हैं।
धर्म-कर्म
क्या है तंत्र-मंत्र और इसका महत्व
मंत्र:- मननेन त्रायते इति मन्त्रः -अथार्त जो मनन करने पर त्राण दे यानी लक्ष्य पूर्ति कर दे, वह मन्त्र है। दूसरे
शब्दों मे अगर समझें तो जब शब्दों के समूहों को एक ध्वनि मे पिरोकर उच्चारण किया जाता हे तो उसे मंत्र कहते
हैं। मंत्र का प्रयोग विधि के माध्यम से सकारात्मक प्रयोजनों के लिए दिव्य शक्ति का आह्वान करने के लिए किया
जाता है। मंत्र के लगातार जाप से उत्पन्न संवेग, वायुमंडल में छिपी शक्तिया को एक जगह एकत्रित एवम नियंत्रित
करता है । मंत्र में अद्भुत और असीमित शक्तियां निहित हैं जिसका उपयोग से मनुष्य अपने जीवन की सभी
कठिनाइयों से पार पा सकता है द्य मंत्रों की व्याख्या वेदों और पुराणों में की गई है। वेद के अनुसार मंत्र दो प्रकार
के होते हैं-
1. ध्वन्यात्मक
2. कार्यात्मक
ध्वन्यात्मक मंत्रों का कोई विशेष अर्थ नहीं होता है। इसकी ध्वनि ही बहुत प्रभावकारी होती है। क्योंकि यह सीधे
वातावरण और शरीर में प्रवेश कर एक अलौकिक शक्ति से परिचय कराती है। इस प्रकार के मंत्र को बीज मंत्र कहते
हैं। जैसे-ओं, ऐं, ह्रीं, क्लीं, श्रीं, अं, कं, चं आदि।
कार्यात्मक मंत्रों का उपयोग पूजा पाठ में किया जाता है। जैसे -ऊं नमः शिवाय या श्री गणेशायः नमः इत्यादि।
प्रत्येक मंत्र का अलग-अलग उपयोग और प्रभाव है।
मंत्र साधना में 5 शुद्धियां बहुत ही अनिवार्य हैं।
-भाव शुद्धि
-मंत्र शुद्धि
-द्रव्य शुद्धि
-देह शुद्धि
-स्थान शुद्धि।
कुछ मंत्रों का प्रयोग किसी देव या देवी का आहवान के लिए किया जाता है और कुछ मंत्र भूत या पिशाच के
विरूद्ध प्रयुक्त होते हैं। स्त्री और पुरुष को अपने वश या अपने नियन्त्र्ण में करने के लिये जिन मंत्रों का प्रयोग
होता है वे वशीकरण मंत्र कहलाते हैं। शत्रु का दमन या अंत करने के लिये जो मंत्र विधि काम में लाई जाती है वह
मारण या दमन मंत्र विधि कहलाती है। भूतों का विनाश या अंत करने के लिये जो मंत्र में लिए जाते है उनको
उच्चाटन या शमन मंत्र कहा जाता है।
तंत्र:- शरीर में विद्यमान या उपस्थित शक्ति के केंद्रों या साथ चक्रों को जागृत कर विशिष्ट कार्यों को सिद्ध करना
ही तंत्र है।
तंत्र साधना:- मनुष्य के शरीर में सात चक्र हैं। शरीर के चक्रों और ईश्वरीय शक्ति के मध्य गहरा संबन्ध स्थापित
होना ही तंत्र साधना है। जो चक्रों पर ध्यान केन्द्रित करके ही प्राप्त किया जा सकता है।
हिन्दू धर्म में तंत्र का महत्व:- मार्कण्डेय पुराण की दुर्गा सप्तशती और अथर्ववेद तंत्र शास्त्र का सर्वोत्तम ग्रंथ है।
मार्कण्डेय पुराण में 700 तांत्रिक श्लोकों का उल्लेख है। इसमें मां दर्गा जो शक्ति की ही देवी है, इनकी गोपनीय
तांत्रिक साधना का वर्णन है।