टला नहीं है खतरा

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विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )

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पिछले कुछ समय से कोरोना विषाणु के संक्रमण की रफ्तार धीमी होने की वजह से लोगों में यह धारणा बनने लगी
थी कि अब खतरा टल गया है। यही वजह रही कि अपनी ओर से संक्रमण से बचाव के लिए अपनाए जाने वाले
उपायों को लेकर लोग लापरवाही या उदासीनता बरतने लगे, जबकि तथ्य यह है कि इस विषाणु के फैलने से रोकने

के लिए जो उपाय लागू किए गए थे, उन्हीं के बूते संक्रमण के खतरे को कम किया जा सका था। अब कोरोना
वायरस महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने एक बार फिर से सख्त चेतावनी जारी की है।
डब्लूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस अधनोम घेब्रेसियस ने कहा कि हमें यह दिखावा नहीं करना चाहिए कि कोरोना
हमारे बीच नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें अभी भी खुद को बचाने की जरूरत है। डब्लूएचओ प्रमुख की चेतावनी ऐसे
समय में आई है जब फिर से एक बार कोरोना के चलते मौतों में वृद्धि देखी गई है। खुद भारत में कोरोना के
मामलों में तेज वृद्धि देखी जा रही है। टेड्रोस ने कहा, हम यह दिखावा नहीं कर सकते कि यह (कोविड-19) अब
हमारे बीच मौजूद नहीं है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, कोविड-19 के साथ जीना सीखने का मतलब यह नहीं है कि
हम दिखावा करते फिरें कि कोरोना अब मौजूद नहीं है। हमें अपने पास मौजूद सभी साधनों का इस्तेमाल अपनी
सुरक्षा और दूसरों की सुरक्षा के लिए करते रहना होगा। दुनिया भर में चार हफ्तों में कोविड-19 से संबंधित मौतों में
35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि भारत में सरकार का कहना है कि नए मामले अभी हल्की प्रकृति के हैं,
इसलिए इससे घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन सावधानी के लिए सरकार ने बचाव के उपायों को लेकर नियम-
कायदों को लेकर सख्ती बढ़ा दी है। दिल्ली में मास्क नहीं लगाने पर अब फिर 500 रुपए का जुर्माना देना होगा।
अब अगर बचाव के उन्हीं उपायों को लोग ताक पर रख कर अपना व्यवहार तय कर रहे हैं तो उसका नतीजा क्या
हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। स्वाभाविक ही कुछ वक्त की दिखने वाली राहत के बाद अब
एक बार फिर विषाणु के संक्रमण की ताजा रफ्तार ने आम लोगों से लेकर सरकार तक की चिंता बढ़ा दी है।
खासतौर पर दिल्ली में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों से यही पता चलता है कि लोगों की यह धारणा गलत थी
कि अब संक्रमण रुक गया है और इसे लेकर बहुत ज्यादा फिक्रमंद होने की जरूरत नहीं है। जबकि शुरू से इस
विषाणु और इसके अलग-अलग बहुरूप ने अपने संक्रमण को लेकर कोई स्थिर रवैया नहीं अपनाया। जाहिर है, हाल
के दिनों में फिर से इस विषाणु ने आक्रामक रवैया अख्तियार करना शुरू कर दिया है। दरअसल, इस बार कोरोना
के ओमिक्रान बहुरूप के नए उप-रूप बीए2.75 की वजह से संक्रमण की रफ्तार बढ़ी है। यानी हर कुछ समय बाद
इसके स्वरूप में बदलाव आया है, जिसकी वजह से इससे निपटने को लेकर अतिरिक्त सजगता की जरूरत है। आज
यह नहीं कहा जा सकता है कि इस विषाणु के फैलने की कोई एक प्रकृति है और सिर्फ उसी को लेकर सावधान
होना चाहिए। पहले यह जरूर कहा गया था कि कोरोना का टीका लोगों को इसके संक्रमण से सुरक्षा देगा, लेकिन
इस विषाणु के फैलने की बदलती प्रकृति ने यह बताया है कि अगर टीका लेने वाले लोग भी बचाव के उचित उपायों
को लेकर ढीला रुख अख्तियार करते हैं तो उनके फिर से कोरोना विषाणु की चपेट में आने की आशंका बनी रहेगी।
अमूमन हर जगह इसकी प्रकृति ने दुनिया भर में स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सामने एक जटिल चुनौती पेश की है। चूंकि
अभी भी इसका कोई कारगर और अंतिम इलाज नहीं खोजा जा सका है, इसलिए फिलहाल इससे बचाव के उपायों
के प्रति गंभीरता ही इसका सामना करने का एक अहम तरीका है।

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