सरकार सशस्त्र बल न्यायाधिकरण को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध : राजनाथ

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विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )

नई दिल्ली, 20 अगस्त  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सरकार सशस्त्र बल न्यायाधिकरण को
और अधिकार संपन्न बनाने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन न्यायाधिकरण को भी इस बात पर विशेष ध्यान देना
चाहिए कि सभी को समय पर न्याय मिले।
श्री सिंह ने शनिवार को यहां सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ की बार ऐसोसिएशन द्वारा आयोजित
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि न्यायपालिका लोकतंत्र का मजबूत स्तंभ है और न्यायिक अधिकारी तथा
वकील न्यायिक प्रणाली के आधार स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि लोग सभी दरवाजे बंद होने के बाद ही न्यायालय की
शरण में आते हैं इसीलिए मजबूत न्याय प्रणाली को सुशासन का आधार माना जाता है।
उन्होंने कहा कि न्यायालयों में निरंतर बढते मामलों के चलते ही देश में विभिन्न तरह के न्यायाधिकरणों की
स्थापना की गयी। उन्होंने कहा कि दुनिया के कुछ ही ऐसे देश हैं जिनमें इस तरह के न्यायाधिकरण हैं और भारत
ने इनके कामकाज के मामले में अच्छी प्रतिष्ठा हासिल की है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण
के पास मूल और अपील दोनों क्षेत्राधिकार हैं जबकि आज भी इंग्लैंड और अमेरिका जैसे विकसित देशों में सशस्त्र
बलों के मामलों से निपटने के लिए मूल अधिकार नहीं हैं। सरकार इसे और अधिक रेस्पॉन्सिव बनाने के लिए
प्रतिबद्ध और लगातार प्रयासरत है, जिन उद्देश्यों के लिए इसकी स्थापना की गई थी।”
उन्होंने कहा कि इस न्यायाधिकरण ने सैनिकों और भूतपूर्व सैनिकों की कानूनी अपेक्षाओं को पूरा करने और उनके
हितों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
श्री सिंह ने कहा, ‘‘न्यायाधिकरण अपने अंदर बदलाव लाएगा ऐसा मेरा विश्वास है। उसकी तैयारी हमें अभी से ही
करनी होगी। न्यायिक आदेशों के अमल में, कहीं किसी प्रकार की देरी होती है, तो उन मामलों को सामने लाया
जाना चाहिए। किसी भी सैनिक को न केवल न्याय प्राप्त हो, बल्कि समयबद्ध तरीके से न्याय प्राप्त हो। इसे हमें
अपने चरित्र में लाने का प्रयास करना चाहिए।’’
साथ ही उन्होंने कहा कि हमें ऐसा करते समय सावधानी बरतने की भी जरूरत है क्योंकि न्याय में गड़बड़ी नहीं
होनी चाहिए। इसलिए हमें संतुलन बनाकर चलना होगा। इस मौके पर केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू,
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी और नौसेना प्रमुख एडमिरल
आर हरि कुमार तथा न्यायाधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेन्द्र मेनन भी उपस्थिति थे।

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