भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) नें विनिवेश सलाहकारों (एआई) व शोध विश्लेषकों (आईए) के लिए अनिवार्य नियम बनाए

 

प्रियंका कुमारी (संवाददाता)

सेबी (विनियमों को बनाने संशोधित और समीक्षा करने की प्रक्रिया) विनियमन प्रक्रिया 2025 को अधिसूचित किया

शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने वाले निवेशकों के हितों को सुरक्षित करने व शेयर मार्केट के विकास वृद्धि को प्रोत्साहित करने में सेबी का अहम योगदान-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर दुनियाँ के हर देश को सुद्धड़ व अनुकूल विकसित बनाने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है, जिसमें एक छोटी सी सुई से लेकर हवाई जहाज के तुल्य तक कार्य हो सकते हैं,परंतु वित्त से भी आवश्यक इसका प्रबंधन है,अगर प्रबंधन, mसुशासन नहीं रहा हैँ तो विकास कार्य पटरी से उत्तर जाएगा व कुछ सीमित धनाट्यों के हाथों में चला जाएगा, इसलिए वित्त प्रबंधन व उसकी निगरानी करना अति आवश्यकहै।विकसित भारत में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का अहम् रोल है जिससे मैं अच्छे से जानता हूं,क्योंकि मैंने एलएलबी एलएलएम के साथ सीए (एटीसी) भी किया है इसलिए सेबी कानून प्रक्रिया व विनियमन को भली भांति समझ सकता हूं। सामान्य सेबी भारत में प्रतिभूति बाजार के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार सबसे महत्वपूर्ण विनियामक निकायों में से एक है। सेबी की स्थापना प्रतिभूति बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों को संरक्षित करने और प्रतिभूति बाजारके विकास और वृद्धि को प्रोत्साहित करने के इरादे से की गई थी ।साथ ही, बोर्ड को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी बाजार भागीदार निर्धारित मानदंडों का अनुपालनकरें।सेबी को उन बाजार प्रति भागियों पर जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है जो नियमों और विनियमों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं।भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है। इसकी स्थापना 12 अप्रैल 1988 में हुई तथा सेबी अधिनियम 1992 के तहत वैधानिक मान्यता 30 जनवरी 1992 को प्राप्त हुई।सेबी का मुख्यालय मुंबई में बांद्रा कुर्ला परिसर के व्यावसायिक जिले में हैं और क्रमश: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी व पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं।आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि दिनांक 17 फरवरी 2025 को सेबी ने,मौजूदा ग्राहकों के लिए अब निवेश सलाहकार और रिसर्च एनालिस्ट अपने मौजूदा ग्राहकों को एमआईटीसी की जानकारी सिर्फ ईमेल या किसी अन्य सुरक्षित डिजिटल माध्यम से भेज सकते हैं। एमआईटीसी की जानकारी 30 जून 2025 तक सभी मौजूदा ग्राहकों को भेजनी होगी। अब फिजिकल या डिजिटल सिग्नेचर की जरूरत नहीं होगी। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने वाले निवेशकों के हितों को सुरक्षित करने वह शेयर मार्केट के विकास वृद्धि को प्रोत्साहित करने में सेबी का हम योगदान है।
साथियों बात अगर हम सेबी द्वारा नियमों में बदलाव की करें तो, निवेश सलाहकारों (आईए) और शोध विश्लेषकों (आरए) के लिए यह अनिवार्य बना दिया है कि वे मोस्ट इम्पोर्टेंट टर्म्स ऐंड कंडीशंस’ (एमआईटीसी) के तौर पर जाने जाने वाले नियम और शर्तों (टीऐंडसी) का खुलासा करेंगे और उन पर ग्राहकों की सहमति लेंगे। ये अहम नियम और शर्तें दो पृष्ठ का दस्तावेज है, जिसे सेबी ने आईए और आरए के संबंधित उद्योग मानक संगठनों के सहयोग से मानक रूप दिया है। निवेश सलाहकारों को 30 जून तक इन नियमों और शर्तों के बारे में क्लाइंटों को बताना होगा।नए करारों में नई शर्तों को शामिल करना जरूरी है। इसके अलावा, एमआईटीसी ने शिकायतों के मामले में ग्राहकों के लिए स्पष्ट कदम सुझाए हैं। इनमें सेबी के स्कोर्स पोर्टल या ऑनलाइन विवाद समाधान (ओडीआर) वेबसाइट पर शिकायत को आगे बढ़ाना (यदि समाधान असंतोषजनक रहता है) शामिल है। दिशा-निर्देशों में यह भी बताया गया है कि निवेश सलाहकार सिर्फ परामर्श सेवाओं के लिए भुगतान स्वीकार कर सकते हैं। उन पर ग्राहकों की ओर से अपने खातों में धन या प्रतिभूतियां प्राप्त करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। निवेश सलाहकारों के लिए बदले नियम
वे मोस्ट इम्पोर्टेंट टर्म्स ऐंड कंडीशंस (एमआईटीसी) के तौर पर जाने जाने वाले नियम और शर्तों (टीऐंडसी) का खुलासा करेंगे और उन पर ग्राहकों की सहमति लेंगे।
साथियों बात अगर हम सेबी द्वारा नियमों में बदलाव करने के मकसद की करें तो,नियम बनाने,सार्वजनिक परामर्श अनिवार्य करने और मानदंडों को संशोधित करने के लिए संबंधित पक्षों की भागीदारी के लिए एक नई प्रक्रिया का निर्धारण किया है। सेबी ने गजट में प्रकाशित अधिसूचना में सेबी (विनियमों को बनाने, संशोधन और समीक्षा करने की प्रक्रिया) विनियमन, 2025 को अधिसूचित किया है।
सेबी नियम बनाने के लिए, अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर नीति में सुझाए गए परिवर्तनों वाला प्रस्ताव प्रकाशित करेगा। इसके अलावा प्रस्तावित विनियमों के उद्देश्य और उसका विवरण, सार्वजनिक टिप्पणियां प्राप्त करने का तरीका, प्रक्रिया और समयसीमा की जानकारी दी जाएगी।सेबी ने कहा,सार्वजनिक टिप्पणियां प्राप्त करने के लिए आमतौर पर कम से कम 21 दिन दिये जाएंगे।सार्वजनिक टिप्पणियां प्राप्त होने पर, टिप्पणियों को अस्वीकार करने का औचित्य, यदि कोई हो, सेबी की आधिकारिक वेबसाइट पर दिया जाएगा। इसके बाद प्रस्तावित नियमों और संबंधित एजेंडा पत्र पर सेबी विचार करेगा। यदि एजेंडा पत्र सार्वजनिक परामर्श के बाद तैयार किया गया है, तो इसमें प्राप्त टिप्पणियों का एक व्यवस्थित संकलन या ऐसी टिप्पणियों का सारांश और उसपर सेबी की टिप्पणियां शामिल होंगी।सेबी ने कहा,जहां बोर्ड (सेबी) की राय होगी कि निवेशकों के हित और प्रतिभूति बाजार के विनियमन और विकास के लिए यह उपयुक्त है कि सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया का पालन प्रस्तावित विनियमन के उद्देश्य को विफल कर देगा, चेयरपर्सन सार्वजनिक परामर्श की प्रक्रिया से दूर हो सकता है या सार्वजनिक टिप्पणियां प्राप्त करने की समय अवधि कम कर सकता है।
साथियों बात अगर हम सेबी निवेश सलाहकारों व रिसर्च एनालिसिस्ट नियमों में बदलाव को गहराई से समझने की करें तो, भारतीय शेयर बाजार में पैर जमाना वित्त की दुनिया में नए लोगों के लिए एक समस्या हो सकती है।क्यों अधिकतर लोग शेयर बाजार की सलाह के लिए इन सलाहकारों की ओर रुख करते हैं और हम अपने धन- संबंधी लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद के लिए सर्वोत्तम सलाहकार कैसे पा सकते हैं।सर्कुलर के मुताबिक निवेश सलाहकारों और रिसर्च एनालिस्ट्स को सीधे राहत दी गई है।अब वे अपने मौजूदा ग्राहकों को उनकी जानकारी ईमेल या किसी अन्य डिजिटल माध्यम से भेज सकते हैं, जिसे रिकॉर्ड के रूप में सुरक्षित रखा जा सकता है। पहले ग्राहकों से एमआईटीसी को फिजिकल या डिजिटल सिग्नेचर के जरिए कन्फर्म कराना अनिवार्य था, जिससे कई समस्याएं हो रही थीं, अब इस नियम में राहत देते हुए ईमेल या अन्य डिजिटल माध्यमों से एमआईटीसी भेजने की अनुमति दी है।नए ग्राहकों के लिए एमआईटीसी को टाइम एंड कंडीशंस में शामिल किया जाएगापूरी शर्तों और नियमों को ग्राहक को डिस्क्लोज करना होगा और उनसे लिखित सहमति लेनी होगी।निवेश सलाहकारों और रिसर्च एनालिस्ट्स के लिए शुल्क पर नया नियम- (1) सेबी ने निवेश सलाहकारों और रिसर्च एनालिस्ट्स के लिए यह नियम तय किया है:-आरए (रिसर्च एनालिस्ट) एडवांस फीस सिर्फ 3 महीने तक ले सकते हैं।इंवेस्टमेंट एडवाइजर एडवांस फीस 6 महीने तक ले सकते हैं हालांकि सेबी ने इस सीमा को 1 साल तक बढ़ाने के लिए एक परामर्श पत्र जारी किया है,क्योंकि आईएस और आरए ने इस नियम का विरोध किया है।सेबी के नए नियमों का विश्लेषण-निवेश सलाहकारों और रिसर्च एनालिस्ट्स के लिए राहत है, परंतु इन विशेषज्ञों को व्यापार और निवेश से संबंधित सभी मामलों में विशेषज्ञ कहलाने के लिए लंबे अध्ययन और शोध से गुजरना पड़ता है।वे अन्य ब्रोकर या एजेंट से अलग होते हैं क्योंकि वे ग्राहक के सर्वोत्तम हित में कार्य करते हैं। सेबी-पंजीकृत सलाहकार आपको ऐसी सलाह देता है जो आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों तक पहुँचने में मदद करती है।सेवाएँ प्रदान करने के अलावा, ये विशेषज्ञ हमको बता सकते हैं कि शेयर बाज़ार के बारे में कैसे अध्ययन करें या सीखें,क्योंकि वे सूचना और ज्ञान का एक समृद्ध स्रोत हैं। आप शेयर बाज़ार, शेयर और शेयर बाज़ार के सुझावों के बारे में जानकारी देने के लिए उन पर भरोसा कर सकते हैं।सर्वश्रेष्ठ सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार चुनना क्यों महत्वपूर्ण है?क्या करना है और अपनी मेहनत की कमाई को कैसे बढ़ाना है, इसकी योजना बनाना आसान नहीं है! साथ ही,हमको सेबी निवेश सलाहकार से विशेषज्ञ की दूसरी राय भी लेनी होगी।यह सबसे अच्छा सलाहकार चुनना एक ऐसा काम है जिसे आपको हल्के में नहीं लेना चाहिए! सही विकल्प चुनने से आपको बेहतर निर्णय लेने में मदद मिल सकती है। यह आपको ट्रेडिंग या निवेश के लिए सेबी-पंजीकृत स्टॉक सलाहकार की विशेषज्ञता पर भरोसा करने की भी अनुमति देता है।
साथियों बात अगर हम भारत में उपयुक्त सेबी-पंजीकृत निवेश सलाहकार चुनने के लिए सुझावकी करें तो जिसने पहले कभी ऐसा नहीं किया है, उसे सेबी -प्रमाणित निवेश सलाहकार खोजने में कठिनाई हो सकती है,इसलिए सबसे अच्छा सलाहकार खोजने में मदद करने के लिए पूरी प्रक्रिया हैँ (1) सलाहकार खोजने के लिए कई स्रोतों का उपयोग करें,जब कोई व्यक्ति विश्वसनीय वित्तीय सलाह देने वाले साथी की तलाश में होता है तो वह इंटरनेट का उपयोग करता है।लेकिन यह आपके लिए पार्टनर की तलाश शुरू करने का एकमात्र स्थान नहीं है। आप सोशल मीडिया पर सुन सकते हैं या मुंह से सुनीबातों से संकेत ले सकते हैं! इन तरीकों से आपको नामों की एक सूची मिलेगी, और उनमें से सबसे अच्छा सेबी-पंजीकृत निवेश सलाहकार होगा। (2) उनकी सेबी-स्थिति स्थापत करेंत करेंकिसी एक को चुनने से पहले, जाँच लें कि क्या वे सेबी आरए के रूप में पंजीकृत हैं। ऐसा करने के लिए,सेबी की वेबसाइट खोलें और स्वीकृत सलाहकारों की सूची में उनके क्रेडेंशियल देखें। यदि वे दिखाई देते हैं, तो आप उन पर विचार कर सकते हैं, लेकिन यदि नहीं, तो उन्हें अपनी सूची से हटा दें!(3) उनके अनुभव और ज्ञान की जाँच करेंहमें यकीन है कि प्रत्येक सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार के पास आपकी मदद करने की विशेषज्ञता है, लेकिन फिर भी आपको जांच करनी होगी!उनसे उनके मजबूत क्षेत्रों के बारे में पूछें और पूछें कि क्या वे आपको वेल्थ मैनेजमेंट में मदद कर सकते हैं, जिसकी आजकल बहुत मांग है। बातचीत से आपको पता चलेगा कि उन्हें शेयर बाजार और निवेश फंड के बारे में कितना पता है।उनसे कुछ दस्तावेज या प्रमाण पत्र मांगने में कोई शर्म नहीं है।(4)उनकी सेवाओं पर नज़र डालेंआपको सेवाओं की पूरी श्रृंखला प्राप्त करने के लिए भारत में सबसे अच्छे सेबी-पंजीकृत निवेश सलाहकार को खोजना होगा। लेकिन यह ठीक है क्योंकि आपको उन कुछ विशिष्ट सेवाओं के बारे में पता है जिनकी आपको आवश्यकता है।पूछें कि क्या वे दीर्घकालिक वित्तीय योजना, सेवानिवृत्ति योजना या धन प्रबंधन सेवाएं प्रदान करेंगे ।लगभग हर सेबी-पंजीकृत सलाहकार तकनीकी विश्लेषण में अत्यधिक कुशल है । यह कौशल उन्हें डेटा द्वारा समर्थित शेयर विकल्पों का चयन करने में मदद करता है। उनकी निष्पक्ष राय ही बाजार सहभागियों को उनके साथ भागीदार बनाती है।(5) उनके बारे में समीक्षाएँ और प्रशंसापत्र पढ़ें वेबसाइट और प्लेटफ़ॉर्म भारत में सेबी-पंजीकृत हर वित्तीय सलाहकार के लिए समीक्षा और रेटिंग दे सकते हैं। रेडिट और क्वोरा जैसे प्लेटफ़ॉर्म उनकी क्षमताओं और लोगों की उनके बारे में राय के बारे में जानकारी देंगे।पिछले ग्राहकों द्वारा की गई इन समीक्षाओं को पढ़ने से आपको सेवा की गुणवत्ता का आकलन करने और यह जानने में मदद मिलेगी कि क्या वे आपके पैसे के लिए मूल्य प्रदान करेंगे। इसलिए, इससे पहले कि हम सेबी -पंजीकृत निवेश विशेषज्ञ का चयन करने के बारे में सुनिश्चित हों, सुनें कि इंटरनेट उनके बारे में क्या कहता है! (6) उनकी लागत और शुल्क को समझेंपारदर्शिता प्रत्येक सेबी प्रमाणित वित्तीय सलाहकार की मुख्य विशेषता है, और यह बात उनकी शुल्क संरचना की जांच करने पर सामने आएगी।वे आपको जो संख्या बताते हैं, उसमें सभी लागतें शामिल होती हैं, इसलिए बाद में इसमें कुछ और भी जोड़ देना चाहिए! आप यह समझने के लिए विस्तृत जानकारी मांग सकते हैं कि उनकी फीस कमीशन-आधारित है या अन्य कारकों पर आधारित है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) नें विनिवेश सलाहकारों (एआई) व शोध विश्लेषकों (आईए) के लिए अनिवार्य नियम बनाए।सेबी (विनियमों को बनाने संशोधित और समीक्षा करने की प्रक्रिया) विनियमन प्रक्रिया 2025 को अधिसूचित किया।शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने वाले निवेशकों के हितों को सुरक्षित करने व शेयर मार्केट के विकास वृद्धि को प्रोत्साहित करने में सेबी का अहम योगदान।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9284141425

 

 

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