प्रियंका कुमारी(संवाददाता)
हिंदू धर्म के मुताबिक, माघ पूर्णिमा या कहें माघी पूर्णिमा का दिन श्री हरि और मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन नारायण ने मत्स्य अवतार लिया था, इसी कारण माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि नारायण की कृपा के लिए स्वयं देवी-देवता मनुष्य रूप धर गंगा स्नान करते हैं। इस दिन चंद्रदेव भी अपने संपूर्ण कलाओं के साथ आसमान में विराजमान होते हैं। ऐसे में इस दिन सभी को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। साथ ही ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे वह नाराज हो जाएं।
कब है माघी पूर्णिमा?
हिंदू पंचांग के मुताबिक, माघ माह की पूर्णिमा फरवरी की 11 तारीख की शाम 06.55 बजे शुरू होगी, जो अगले दिन 12 फरवरी की तारीख को शाम 07.22 बजे खत्म होगी। उदया तिथि की प्रधानता के कारण माघ पूर्णिमा 12 फरवरी को मनाई जाएगी।
क्या न करें इस दिन?
1. माघ पूर्णिमा के दिन काले वस्त्र न पहनें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन काले कपड़े पहनकर पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए।
2. साथ ही जातक को देर तक नहीं सोना चाहिए, इससे घर से लक्ष्मी चली जाती हैं और दुर्भाग्य उसके घर आता है।
3. इसके अलावा, इस दिन तामसिक वस्तुओं का भी सेवन बिल्कुल भी न करें, इससे देव नाराज हो जाते हैं।
क्या कर सकते हैं?
इस दिन सुबह उठकर साधक को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद हो सके तो ब्राह्मणों का भोजन कराना चाहिए। साथ ही इस दिन जरूरतमंद को चावल, तिल,धन आदि दान जरूर देना चाहिए।