लक्ष्मी कश्यप (संवाददाता)
दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इसको लेकर बीजेपी विधायक दल की बैठक चल रही है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और बीएस संतोष सभी विधायकों के मन की बात सुन रहे हैं। इन सबसे यही चर्चा हो रही है कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इस पर अमित शाह और जेपी नड्डा के बीच भी मंथन हुआ है।
पीएम मोदी का क्या है सीएम चुनने का क्राइटेरिया?
किसके नाम पर सबसे ज्यादा विधायकों ने मुहर लगाई और कब तक दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिलेगा? बीजेपी से दिल्ली का मुख्यमंत्री जाट होगा, बनिया होगा, पंजाबी होगा, पूर्वांचली होगा या पहाड़ी होगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्राइटेरिया क्या होगा? क्या बीजेपी राजस्थान और मध्य प्रदेश की तरह फिर सरप्राइज करेगी। जानिए इस इस स्पेशल रिपोर्ट में
अमित शाह और जेपी नड्डा के बीच मंथन
27 साल बाद बंपर जीत के साथ सत्ता में लौटी बीजेपी में मुख्यमंत्री को लेकर मंथन आखिरी दौर में है। मुख्यमंत्री का नाम फाइनल करने के लिए अमित शाह और जेपी नड्डा के बीच बैठक हो चुकी है। बीजेपी विधायक दल ने सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए उपराज्यपाल को चिट्ठी लिखकर वक्त मांगा है।
सीएम के नाम पर नई दिल्ली सीट का कनेक्शन
दिल्ली में 27 साल से परंपरा रही है कि जो नई दिल्ली सीट जीतेगा वही मुख्यमंत्री बनेगा। 1998 में शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री बनने के साथ ये परंपरा शुरु हुई और केजरीवाल तक चलती रही। इस बार नई दिल्ली सीट प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल को हराकर जीती है। हालांकि, उन्होंने मुख्यमंत्री को नहीं पूर्व मुख्यमंत्री को हराया है। अरविंद केजरीवाल ने चुनाव से पहले ही आतिशी को मुख्यमंत्री बना दिया था।
मुख्यमंत्री की रेस में शामिल हैं ये नेता
दिल्ली में मुख्यमंत्री की रेस में प्रवेश वर्मा के साथ-साथ विजेंद्र गुप्ता, रेखा गुप्ता, शिखा रॉय, मनजिंदर सिंह सिरसा, कपिल मिश्रा, मोहन सिंह बिष्ट, मनोज तिवारी, आशीष सूद और स्मृति ईरानी का भी नाम रेस में चल रहा है। अब सवाल उठता है कि मोदी का मुख्यमंत्री बनाने का क्राइटेरिया क्या होगा?
कहीं महिला तो नहीं होगी दिल्ली की अगली सीएम
ऐसे में चर्चा हो रही है कि सीएम के नाम को लेकर अनुभव को आधार बनाया जाएगा या जाति और इलाके के आधार पर फैसला लिया जाएगा। बीजेपी शासित राज्यों में कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं है तो क्या दिल्ली की कमान महिला को सौंपी जाएगी?
जाट फैक्टर का रखा जा सकता है ध्यान
सबसे पहली बात प्रवेश वर्मा और जाट फैक्टर की है। दिल्ली के अलावा हरियाणा, पश्चिमी यूपी और राजस्थान में जाट फैक्टर बहुत असरदार है। दिल्ली की 13 जाट बाहुल्य सीटों में बीजेपी ने 11 और आम आदमी पार्टी ने 2 सीट जीती हैं ।
यूपी में 2027 में चुनाव होने हैं। हरियाणा और राजस्थान में चुनाव हो चुके हैं। तीनों ही राज्यों में बीजेपी ने जाट मुख्यमंत्री नहीं दिया है।
प्रवेश वर्मा इन कसौटियों पर उतर सकते हैं खरे
तो क्या दिल्ली में बीजेपी जाट मुख्यमंत्री देकर तीनों राज्यों के जाट वोटर्स को संतुष्ट कर सकती है। प्रवेश वर्मा और किन-किन कसौटियों पर खरा उतरते हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को हराया है। वो दो बार लोकसभा के सांसद और दूसरी बार विधायक बने हैं।
पूर्व सीएम के बेटे हैं प्रवेश वर्मा
2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने दिल्ली के इतिहास की सबसे बड़ी जीत दर्ज करते हुए 5 लाख 78 हजार के अंतर से चुनाव जीता था। प्रवेश वर्मा दिल्ली के पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। उनका संघ से पुराना नाता है। वो अभी 48 साल के हैं, युवाओं से उनका जुड़ाव भी बहुत अच्छा है।
जीत की हैट्रिक लगाने वाले विजेंद्र गुप्ता
मुख्यमंत्री की रेस में रोहिणी से जीत की हैट्रिक लगाने वाले विजेंद्र गुप्ता भी हैं। वीजेंद्र गुप्ता बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। 2015 की केजरीवाल लहर में जब बीजेपी सिर्फ 3 सीटों पर सिमट गई थी, तब भी विजेंद्र गुप्ता जीते थे। 2020 में जब बीजेपी सिर्फ 8 सीट जीत पाई थी तब भी विजेंद्र गुप्ता चुनाव जीते थे। 2025 में भी उन्होंने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की है। वो विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। दमदार तरीके से केजरीवाल सरकार को घेरते रहे हैं। 2013 में नई दिल्ली सीट से केजरीवाल के खिलाफ चुनाव हार गए थे। अगर किसी सॉफ्ट पर्सनालिटी वाले नेता पर बीजेपी दांव खेलती है, तो विजेंद्र गुप्ता भी हो सकते हैं।
पूर्वांचली वोटरों को साधने वाले मनोज तिवारी
दिल्ली में 30 फीसदी पूर्वांचल वोटर हैं, जो 23 विधानसभा सीटों में असर रखते हैं। बीजेपी ने 23 में से 17 सीट जीती हैं। आम आदमी पार्टी को सिर्फ 6 सीटों पर जीत मिली है। बीजेपी और मोदी के एजेंडे में यमुना को साफ करने का मुद्दा सबसे अहम है। जहां लाखों पूर्वांचली छठ मनाते हैं। इस साल बिहार में भी चुनाव हैं। ऐसे में पूर्वांचल के किसी नेता को बीजेपी आगे कर सकती है।
मनोज तिवारी लगातार 3 बार सांसदी का चुनाव जीते
इनमें दो नाम मनोज तिवारी और कपिल मिश्रा हो सकते हैं। अनुभव की कसौटी पर मनोज तिवारी लगातार 3 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2024 में बीजेपी ने 6 सांसदों के टिकट काट दिए थे, सिर्फ मनोज तिवारी ही सिटिंग सांसद थे जिन्हें टिकट दिया गया। टीम मोदी के साथ उनकी अच्छी बनती है। वो 2016 से 2020 तक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
कपिल मिश्रा का भी नाम सीएम की रेस में
जहां तक कपिल मिश्रा का सवाल है, उन्होंने करावल नगर से दूसरी बार चुनाव जीता है। वो लगातार केजरीवाल पर हमलावर रहे हैं। सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव हैं। यंग वोटर से उनका जुड़ाव बहुत अच्छा है। हालांकि, अनुभव थोड़ा कम है।
सीएम को लेकर पंजाबी वोटर का रखा जा सकता है खयाल
दिल्ली में पंजाबी मतदाताओं के असर वाली करीब 28 सीटें हैं। बीजेपी ने इस बार 23 सीटें जीती हैं। आम आदमी पार्टी को सिर्फ 5 सीटों पर जीत मिली है। 10 परसेंट से ज्यादा सिख मतदाताओं वाली 4 सीटे हैं, जिनमें तीन बीजेपी ने जीती आम आदमी पार्टी केवल एक सीट जीत पाई है।
जनकपुरी से आशीष सूद का भी नाम शामिल
केजरीवाल का भगवंत मान से प्रचार कराना भी उन्हें कोई फायदा नहीं दे पाया। ऐसे में पंजाबी समुदाय से कई चेहरे सीएम की रेस में हैं। इनमें जनकपुरी से चुनाव जीतने वाले आशीष सूद भी हैं। वो पार्टी का प्रमुख पंजाबी चेहरा हैं। इस समय गोवा और जम्मू कश्मीर के सह प्रभारी हैं। इसके अलावा राजौरी गार्डन से चुनाव जीतने वाले मनजिंदर सिंह सिरसा का नाम भी चर्चा में हैं।
मनजिंदर सिंह सिरसा 2 बार जीते चुनाव
मनजिंदर सिंह सिरसा 2 बार विधानसभा चुनाव जीते हैं। 2017 में उन्होंने उपचुनाव जीता था और 2025 में 1800 वोट से जीत हासिल की है। उनकी ताकत पंजाबी समुदाय में मजबूत पकड़ है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बीजेपी से पहले अकाली दल में थे।
महिलाओं से सीएम की रेस में 3 नाम
हालांकि, मोदी हमेशा सरप्राइज करते हैं। ऐसे में क्या किसी महिला को भी दिल्ली की कमान सौंपी जा सकती है? महिलाओं ने तीन नाम मुख्यमंत्री की रेस में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, ग्रेटर कैलाश सीट पर सौरभ भारद्वाज को हराने वाली शिखा रॉय और शालीमार बाग से चुनाव जीतने वाली रेखा गुप्ता का भी नाम लिया जा रहा है।