जम्मू कश्मीर में सेना भर्ती में जमकर उमड़ी भीड़, बड़ी संख्या में आए सीमा से सटे इलाकों के युवा

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Jammu kashmir Army recruitment rally- India TV Hindi

लक्ष्मी कश्यप (संवाददाता)

जम्मू-कश्मीर के बारामूला में आयोजित सैनिक भर्ती में बड़ी संख्या में युवा शामिल हुए। भर्ती अभियान में पहले दिन से ही सैकड़ों की तादाद में कश्मीरी युवा सेना में भर्ती होने के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े दिखे। युवाओं का उत्साह यह दर्शा रहा था कि कश्मीर के युवाओं की सोच में बदलाव आया है। बारामूला में सोमवार को शुरू हुई इस रैली में ज्यादातर युवा उत्तरी कश्मीर के विभिन्न जिलों, खासकर सीमा रेखा से सटे गांवों से आए थे

भर्ती में शामिल होने आए युवाओं का जोश और उत्साह साफ तौर पर बता रहा था कि वे सेना का हिस्सा बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं। बढ़ती बेरोज़गारी और देश सेवा की चाहत इन युवाओं के बिना किसी डर या भय के भर्ती में शामिल होने की एक बड़ी वजह है।

बचपन से सेना में शामिल होने का सपना देख रहे युवा

सैनिक भर्ती में यहां पहुंचे हर नौजवान की कोशिश थी कि वह कुछ अच्छा करे और सेना में भर्ती हो सके। कई युवा बचपन से ही भारतीय सेना का सपना देख रहे हैं और जब यह मौका मिला है तो वह इसे इसे गंवाना नहीं चाहते थे। इन युवाओं का मानना है कि बेरोजगारी खत्म करनी है। इसके लिए ये एक अच्छा कदम है। इसके साथ देश की रक्षा करने का गर्व भी हासिल होगा।

इन पदों के लिए हो रही भर्ती

सप्ताह भर चलने वाले इस अभियान में जनरल ड्यूटी, क्लर्क, शेफ और कारीगर वुडवर्कर और उपकरण मरम्मतकर्ता जैसी विभिन्न भूमिकाओं के लिए सैनिक की भर्ती होनी है। रैली को बारामुला, कुपवाड़ा, गंदेरबल, बडगाम और बांदीपुरा के योग्य उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग के लिए सावधानीपूर्वक संचालित किया जा रहा है। बारामुल्ला के उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग 11-12 नवंबर को, गंदेरबल और बडगाम के उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग 13 नवंबर को और कुपवाड़ा और बांदीपुरा के उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग 14 नवंबर को की जा रही है, जबकि 16-17 नवंबर को दो दिन मेडिकल जांच के लिए हैं।

आतंक खत्म करने में जुटी सेना

जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म करने में जुटी हुई है। आतंकियों के खात्मा करने के लिए लगातार सर्च अभियान चलाए जा रहे हैं। यहां विधानसभा चुनाव भी कराए गए हैं। अब यहां के युवाओं के सेना में शामिल कर मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। स्थानीय लोगों के शामिल होने से सेना को फायदा होगा और आतंकियों को पनाह देने वाले लोगों की संख्या में भी कमी आएगी।

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